गवाहों की सुरक्षा को पुलिस एक्ट में संशोधन करे सरकार
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने देहरादून के हत्या के चर्चित मामले में निचली कोर्ट से आजीवन क
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने देहरादून के हत्या के चर्चित मामले में निचली कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि करते हुए अभियुक्तों की विशेष अपील खारिज कर दी। साथ ही सरकार को गवाहों की सुरक्षा के लिए पुलिस एक्ट व नियमावली में जरूरी बदलाव करने के आदेश पारित किए हैं।
20 जुलाई 2008 को पदमा मिश्रा निवासी देहरादून ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसमें कहा था कि उसका बेटा मोनू और छोटू उर्फ कृष्णा घर के सामने की दुकान से सीडी लेने गए थे, इसी दौरान प्रमोद शर्मा, बलबीर सिंह नेगी व बृजमोहन द्वारा लाठी डंडों से मोनू व छोटू पर जानलेवा हमला बोल दिया। इस हमले में मोनू की मौत हो गई। पिछले साल 17 मार्च को अपर जिला जज देहरादून ने इस मामले में अभियुक्तों को हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई। निचली कोर्ट के आदेश के खिलाफ अभियुक्त प्रमोद शर्मा व अन्य द्वारा विशेष अपील दायर की गई। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद निचली कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि करने के साथ ही गवाहों की सुरक्षा के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए।
हाई कोर्ट के अहम दिशा-निर्देश
- गवाहों के घर के आसपास उचित सुरक्षा व्यवस्था व सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं
- फौजदारी न्यायालय नियमित सुनवाई करें, जो न्यायिक अधिकारी नियमित सुनवाई नहीं करते हैं, उन्हें प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाए
- गवाहों को गवाही के दिन यात्रा भत्ता और गवाही पूरी नहीं होने पर उस दिन का रहने व भोजन का खर्चा दिया जाए
-पुलिस गवाहों को लाने और छोड़ने तक पूरी सुरक्षा मुहैया कराए
-गवाहों के बैठने व रहने के लिए अलग कमरे का इंतजाम हो, जघन्य अपराधों के गवाहों की पहचान बदली जाए
-गवाहों के आपातकालीन फोन नंबर रखे पुलिस