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चिकित्सक का धर्म भी पूरा कर रहे डीएम और एसएसपी

एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद चिकित्सा की जगह आइएएस और आइपीएस को वरीयता देने वाले दो युवा अधिकारी अब चिकित्सक होने का धर्म भी निभा रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 19 Nov 2017 09:26 AM (IST)Updated: Sun, 19 Nov 2017 08:55 PM (IST)
चिकित्सक का धर्म भी पूरा कर रहे डीएम और एसएसपी
चिकित्सक का धर्म भी पूरा कर रहे डीएम और एसएसपी

हल्‍द्वानी, [शमशेर सिंह नेगी]: कहानी उत्तराखंड से है। जहां एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद चिकित्सा की जगह भारतीय प्रशानिक सेवा (आइएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) को वरीयता देने वाले दो युवा अधिकारी अब चिकित्सक होने का धर्म भी निभा रहे हैं। चम्पावत के डीएम डॉ. अहमद इकबाल (आइएएस) और ऊधमसिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आइपीएस डॉ. सदानंद एस दाते का अनुभव अब उत्तराखंड में काम आ रहा है, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।

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चंपावत के जिलाधिकारी डॉ. अहमद इकबाल बतौर जिलाधिकारी अपने दायित्वों को पूरा करने के साथ ही जिला अस्पताल में रोजाना चिकित्सा सेवाएं भी देते हैं। हाल ही मेडिकल काउंसिल उत्तराखंड में रजिस्ट्रेशन होने के बाद अब उन्होंने बाकायदा समय तय कर लिया है कि हर रोज जिला अस्पताल में एक घंटा बैठकर मरीजों को देखेंगे। 2009 में एमबीबीएस करने वाले डॉ. अहमद 2011 बैच के आइएएस हैं। 

वह कहते हैं, एमबीबीएस करने के बाद मुझे एहसास हुआ कि देश की स्वास्थ्य सेवाएं कितनी बदहाल हैं। केवल एक चिकित्सक होकर इसे नहीं बदला जा सकता। इसलिए मैंने एमबीबीएस करने के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी की। जिससे प्रशासनिक सेवा के साथ मैं जनता की नब्ज भी देख सकूं। मैं मरीजों को ही नहीं, अस्पताल की व्यवस्थाओं को भी देखता रहूंगा। डॉ. अहमद इकबाल उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले हैं। उनके पिता किसान हैं।

अब बात डॉ. सदानंद दाते की। ऊधमसिंह नगर जैसे बड़े जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की जिम्मेदारी संभालने वाले डॉ. दाते ने 2002 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी। सपना एक अच्छा डॉक्टर बनने का था, लेकिन जब 2007 में आइपीएस चुनने में सफलता मिली तो उन्होंने पुलिस सेवा को ही अपना करियर बनाया। डॉक्टर बनकर मरीजों को देखने की जो तमन्ना थी, उसे डॉ. दाते अब अपने ही स्टाफ या उनके परिवार वालों की नब्ज देखकर पूरा करते हैं। 

ऊधमसिंह नगर जिले में कोई पुलिसकर्मी या उनका परिजन बीमार हो जाए तो सबसे पहले परामर्श लेने डॉ. दाते के पास पहुंचता है। डॉ. दाते कहते हैं, डॉक्टर बनने का सपना था। एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और मैंने दो साल तक नासिक में बतौर मेडिकल ऑफिसर काम किया। पुलिस सेवा के लिए भी तैयारी करता रहा। 

भारतीय पुलिस सेवा में चयन होने के बाद डॉक्टरी पेशे की ओर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दे पाया, पर अब कोशिश यह करता हूं कि मेरे स्टाफ के जो कर्मचारी हैं, उन्हें स्वास्थ्य परामर्श देता रहूं। इससे मेरा भी अभ्यास होगा। डॉ. दाते महाराष्ट्र के नासिक जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता प्रधानाचार्य हैं। सदानंद ने 5वीं तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की। बाद की पढ़ाई पुणे के नवोदय विद्यालय से की।

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