global warming ग्लोबल वार्मिंग का असर मानसून पर, आगामी ऋतुओं पर भी पड़ेगा असर
ग्लोबल वार्मिंग का असर मानसून पर नजर आने लगा है। इस प्रभाव से बरसात का सीजन आगे खिसकता हुआ अक्टूबर तक जा पहुंचा है।
नैनीताल, रमेश चंद्रा : ग्लोबल वार्मिंग का असर मानसून पर नजर आने लगा है। इस प्रभाव से बरसात का सीजन आगे खिसकता हुआ अक्टूबर तक जा पहुंचा है। अब आने वाली ऋतुओं पर इसके असर की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। मौसम के जानकारों की मानें तो राज्य से इस सप्ताह बाद ही मानसून की विदाई हो सकेगी।
प्रदेश का मानसून देर से लौटने का सिलसिला पिछले कुछ ही सालों से शुरू हुआ है। पूर्व में इसके विदा होने का समय 21 सितंबर तक माना जाता था। अब यह सितंबर के अंत से लेकर अक्टूबर के पहले पखवाड़े तक भी टिके रहने लगा है। आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वायुमंडलीय वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के असर से मानसून के समय में अंतर आने लगा है, वहीं पश्चिमी विक्षोभ मार्च अप्रैल तक उठने लगे हैं, जबकि पूर्व में यह फरवरी तक ही सक्रिय होते थे। जिस कारण ग्रीष्म का मौसम देर से शुरू हो रहा है। यही वजह है कि मानूसन के आने में विलंब हो रहा है। इसी वजह से इस बार मानसून भी देर से पहुंचा। सीजनल पैटर्न की शिफ्टिंग के चलते रोजमर्रा के कार्यों समेत कृषि कार्यों में भी बदलाव लाने की जरूरत होगी। मानसून के देर से तक टिके रहने को लेकर मौसम विभाग के राज्य निदेशक डॉ. विक्रम सिंह का कहना है कि मानसून की विदाई देर से होने के पीछे अनेक कारण हैं। जिसमें मानसून के मध्यावस्था में शिथिलता आ जाना एक वजह होती है तो उसका देर से पहुंचना भी एक कारण होता है। राज्य में पिछले कुछ सालों से मानसून देर से विदा हो रहा है। इस बार अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक इसके विदा होने की संभावना है।
दिसंबर से मौसम का हाल बताएगा डॉप्लर रडार
मुक्तेश्वर में लगने जा रहा डॉप्लर रडार दिसंबर तक कार्य करना शुरू कर देगा। इस रडार के लग जाने से क्षेत्र के मौसम के पूर्वानुमान की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। मौसम विभाग के राज्य निदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने रविवार को रडार स्थल का निरीक्षण किया। करीब आठ करोड़ लागत से निर्माणाधीन रडार का स्थलीय कार्य अंतिम चरण में है। इसके बाद उपकरण लगाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। कनेक्टिविटी और टेस्टिंग कार्य नवंबर तक समाप्त हो जाएगा। मौसम संबधी आंकड़े जुटाने में काफी मददगार साबित होगा। डाप्लर रडार में अत्याधुनिक उपकरण लगाए जा रहे हैं।