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निकाय व पंचायत स्तर पर भी लागू हो जेंडर बजटिंग

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंसियल मैनेजमेंट के सहयोग ने डीएसबी के समाज शास्त्र विभाग में सेमिनार की शुरुआत हुई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 06:00 AM (IST)
निकाय व पंचायत स्तर पर भी लागू हो जेंडर बजटिंग
निकाय व पंचायत स्तर पर भी लागू हो जेंडर बजटिंग

जागरण संवाददाता, नैनीताल : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंसियल मैनेजमेंट के सहयोग ने डीएसबी परिसर के समाज शास्त्र विभाग में 'जेंडर रिस्पोंसिव बजटिंग : चुनौती और अवसर' विषयक सेमिनार सोमवार को शुरू हो गया। इस दौरान विशेषज्ञों ने पंचायत व निकायों में बजट आवंटन में जेंडर बजटिंग को प्रभावी करने पर जोर दिया। कहा कि इससे महिलाओं को बराबरी का अवसर मिलेगा तो देश की प्रगति होगी।

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भौतिकी सभागार में आयोजित सेमिनार में नीति आयोग के सलाहकार रहे प्रो. बीके पांडे ने बताया कि भारत सरकार के 35 मंत्रालयों में जेंडर बजटिंग लागू है, जबकि उत्तराखंड में 21 विभागों में। राज्य के 48 हजार करोड़ के बजट में महिला सशक्तीकरण के लिए छह हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है। मनरेगा में न्यूनतम 30 प्रतिशत जेंडर बजटिंग पर खर्च करने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि इसमें स्वयं सहायता समूह अहम भूमिका निभा रहे हैं। इंस्टींट्यूट की प्रो. शिखा माथुर ने दूरस्थ क्षेत्रों की तथा महिलाओं की बुनियादी जरूरतों पर आधारित शोध को बढ़ावा देने पर जोर दिया। बताया कि दुनिया के सौ देश जेंडर बजटिंग पर काम कर रहे हैं। इस दौरान प्रो. भगवान सिंह बिष्ट, डॉ. ऋतु शर्मा, प्रो. पीएस बिष्ट, प्रो. ज्योति जोशी, प्रो. इंदु पाठक, प्रो. एनसी पंत, प्रो. अर्चना श्रीवास्तव, प्रो. भीमा मनराल, डॉ. प्रियंका रुवाली, डॉ. अजय कुमार, डॉ. दीपक पालीवाल, डॉ. तनुजा मेलकानी आदि मौजूद थीं। 2020 में भारत में होगी इंटरनेशनल जियोलॉजिकल साइंस कांग्रेस

नैनीताल : जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के डिप्टी डायरेक्टर जनरल प्रो. एमसी दास का कहना है कि मार्च 2020 में भारत में इंटरनेशनल जियोलॉजिकल साइंस कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें दुनिया भर के हजारों वैज्ञानिक शामिल होंगे। इससे पहले 1964 में यह आयोजन दिल्ली में हुआ था।

डॉ. दास सोमवार को कुमाऊं विवि के भूगर्भ विज्ञान विभाग में भू-विज्ञान के नए आयाम विषयक दो दिनी कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीएसआइ ने समाज के फायदे के लिए खनिजों की खोज की, जिससे देश उन्नति कर रहा है। मुख्य वक्ता वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. कलाचंद्र सेन ने भू-भौतिकी के नए आयामों पर चर्चा करते हुए कहा कि जमीन के अंदर गहराई में तेल, हाइड्रो कार्बल, मिथैन गैस आदि की खोज की गई। भू वैज्ञानिकों ने देश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कार्यशाला में देश के विभिन्न हिस्सों के 73 प्रतिनिधि शामिल हुए। इस दौरान शोधार्थियों ने हिमालयी क्षेत्र की भू वैज्ञानिक संरचना आदि पर आधारित 50 शोध पत्र व 25 पोस्टर प्रस्तुत किए गए। इस दौरान प्रो. एलएम जोशी, प्रो. गंगा बिष्ट, प्रो. जीके शर्मा, डॉ. बहादुर सिंह कोटलिया, डॉ. वहाबउद्दीन, प्रो. राजीव उपाध्याय, प्रो. सीसी पंत, प्रो. संतोष कुमार, प्रो. एके शर्मा, डॉ. प्रदीप गोस्वामी, प्रो. चित्रा पांडे आदि थीं।


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