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भविष्य में खेती में निर्णायक भूमिका निभाएगा जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय : डा. गौतम

विज्ञानी ग्रेगर जोहान मेंडल को याद में जीबी पंत विवि में नेशनल सिंपोजियम राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कहा को मेंडल ने डीएनए को खोज लोगों के सामने आने से 34 वर्ष पहले कर दिया था लेकिन इस वक्त लोगों को समझ नहीं आया।

By Prashant MishraEdited By: Published: Thu, 05 May 2022 02:44 PM (IST)Updated: Thu, 05 May 2022 02:44 PM (IST)
भविष्य में खेती में निर्णायक भूमिका निभाएगा जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय : डा. गौतम
पंत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ने कहा कि भविष्य में कृषि के लिए काफी चुनौतियां सामने है।

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : अनुवांशिकी एवं प्लांट ब्रीडिंग के जनक कहे जाने वाले ग्रेगर जोहान मेंडल के जन्मदिवस पर उन्हें याद किया गया। इस दौरान आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में देश भर से जुड़े वैज्ञानिकों ने इनको उपलब्धियों को सराहा और अपने विचार रखे। पंत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ने कहा कि भविष्य में कृषि के लिए काफी चुनौतियां सामने है। जिनसे लड़ने मेंडल की खोज को शामिल कर निदान किया जाएगा।

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पंत विवि के डा बीबी सिंह मिनी ऑडिटोरियम कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर में विज्ञानी ग्रेगर जोहान मेंडल को याद में नेशनल सिंपोजियम राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें देश भर के करीब 210 विज्ञानी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। इनमे करीब 30 प्रतिशत विज्ञानियों ने कार्यक्रम में बतौर गेस्ट सहभागिता कर रहे हैं। मुख्य अतिथि पर पूर्व वाइस चांसलर पंत विश्वविद्यालय डा पी एल गौतम ने कहा कि जोहान मेंडल जैसा महान विज्ञानी को देन है जो आज अनुवांशिकी पर तमाम शोध किए जा रहे हैं।

कहा को मेंडल ने डीएनए को खोज लोगों के सामने आने से 34 वर्ष पहले कर दिया था, लेकिन इस वक्त लोगों को समझ नहीं आया। 34 वर्ष के बाद अन्य चार वैज्ञानिकों ने इसी खोज को किया। जिसके बाद लोगों को मेंडल की खोज को याद आई और उन्हीं को शोध को वरीयता मिली और उसी थियरी पर आगे से प्रक्रिया चली आ रही है।

अनुवांशिकी एवं पादप के विभागाध्यक्ष डा सलिल तिवारी ने कहा कि मेंडल को खोज दुनियां की सबसे अद्भुद खोज है। किस तरह डीएनए, मैनुपुलेशन कैसे जीन को डालते हैं आदि मुख्य खोज इन्ही की देन है। 

बताया की सेमिनार में भविष्य में होने वाले खोज और शोध पर चर्चा हुई। दो दिवसीय सेमिनार में कई प्रकार की चुनौतियों पर विमर्श किया जाएगा। जलवायु परिवर्तन, जल संश्लेषण आदि पर शोध उसी के आधार पर किया जाएगा। बताया कि वर्तमान में कृषि चुनौतियों के दौर से गुजर रहा है।

जमीन कम होती जा रही है, उर्वरक कम डालने का प्रयास होना चाहिए, बाढ़, सूखा, करने संश्लेषण बढ़ना आदि मुद्दों पर मेंडल के आधारित शोध से ही निजात दिलाने पर कार्य किया जाएगा। इस मौके पर डा बीबी सिंह, डा एमपी पांडेय, वाइस चांसलर डा एके शुक्ला, डा सलिल तिवारी आदि मौजूद थे।


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