पर्यटन सर्किट से जुड़ते ही गुफाओं की घाटी नाम से विख्यात हो जाएगा पिथौरागढ़ का ये क्षेत्र
पिथाैरागढ़ जिले के गंगावली क्षेत्र की गुफाओं को पर्यटन सर्किट से जोड़ कर सैलानियों को नैसर्गिक सौंदर्य के साथ आध्यात्म से जोड़ने का सपना अभी साकार नहीं हो सका है। जिले की एक दर्जन गुफाओं में केवल पाताल भुवनेश्वर को छोड़ अन्य गुफाएं आज भी गुमनाम हैं।
पिथौरागढ़, जेएनएन : पिथाैरागढ़ जिले के गंगावली क्षेत्र की गुफाओं को पर्यटन सर्किट से जोड़ कर सैलानियों को नैसर्गिक सौंदर्य के साथ आध्यात्म से जोड़ने का सपना अभी साकार नहीं हो सका है। जिले की एक दर्जन गुफाओं में केवल पाताल भुवनेश्वर को छोड़ अन्य गुफाएं आज भी गुमनाम हैं। इन गुफाओं का इतिहास भी अंधेरे में भटक रहा है। सभी गुफाए पर्यटन सर्किट से जुड जाए तो गंगावली क्षेत्र गुफाओं की घाटी के रूप में चर्चित हो जाएगी।
सीमांत जिले का गंगावली क्षेत्र गुफाओं के मामले में धनी है। इस क्षेत्र में पाताल भुवनेश्वर जैसी विख्यात गुफा के अलावा आठ अन्य गुफाएं भी प्रकाश में आई हैं। इन गुफाओं तक आज भी पहुंचना संभव नहीं हुआ है। राज्य बनने के बाद इस क्षेत्र को गुफाओं की घाटी बना कर गुफाओं का विकास और सौंदर्यीकरण की घोषणाएं हुईं। प्रदेश में सत्तासीन होने वाली सरकारें इसे पर्यटन सर्किट से जोड़ने का दावा करती रहीं। गंगावली क्षेत्र की गुफाएं और धार्मिक पर्यटन स्थलों को जोड़ते हुए इसे हिमनगरी मुनस्यारी से जोड़ने का प्रस्ताव था।
पर्यटन सर्किट के अनुसार गंगावली क्षेत्र (गंगोलीहाट और बेरीनाग) से पर्यटक स्थल चौकोड़ी, धार्मिक स्थल थल से होते हुए मुनस्यारी को जुड़ना था। पर्यटकों को गुफाओं के रोमांच से आस्था की तरफ ले जाकर हिमालय के दर्शन की योजना इस सर्किट का मूल आधार था। परंतु आज तक जिले की भोलेश्वर, कोटेश्वर, शैलेश्वर, मुक्तेश्वर, महेश्वर, डांडेश्वर जैसी गुफाएं अंधेरे में हैं। इन गुफाओं तक पहुंचने के लिए न तो मार्ग हैं और न ही इन गुफाओं का प्रचार-प्रसार हो सका है। आज भी ये गुफाएं केवल स्थानीय लोगों की आस्था तक सिमट कर रह गई हैं। पर्यटक लाख चाहने के बाद भी इन गुफाओं का दीदार नहीं कर पा रहे हैं।
गंगोलीहाट विधायक मीना गंगोला ने कहा कि गंगावली क्षेत्र में प्रकृति ने अद्भुत एवं रोमांचक गुफाएं दी हैं। जो यहां पर पर्यटन विकास में मददगार साबित हो सकती हैं। पाताल भुवनेश्वर की तर्ज पर ही इन गुफाओं के सौंदर्यीकरण आवश्यक है और वहां तक पहुंचने के लिए मार्ग के निर्माण एवं अन्य सुविधाओं से जोड़ने का प्रयास हो रहा है। इनको पर्यटन सर्किट से जोड़ कर इन्हें पर्यटक स्थल बनाने के लिए सरकार के आगे मांग रखी गई है। अभी सर्किट में पाताल भुवनेश्वर, कालिका मंदिर ही शामिल हैं। अन्य गुफाओं का इससे शीघ्र जोड़ा जाएगा।