दुर्लभ पेंगोलिन के साथ चार तस्कर गिरफ्तार, रुद्रपुर में बेचने की फिराक में थे NAINITAL NEWS
स्पेशल टॉस्क फोर्स और वन विभाग की टीम ने शारदा कालोनी मार्ग से दुर्लभ पेंगोलिन के साथ चार तस्करों को गिरफ्तार किया है। पेंगोलिन को रुद्रपुर में बेचने का प्रयास किया जा रहा था।
रुद्रपुर, जेएनएन : स्पेशल टॉस्क फोर्स और वन विभाग की टीम ने शारदा कालोनी मार्ग से दुर्लभ पेंगोलिन के साथ चार तस्करों को गिरफ्तार किया है। पेंगोलिन को रुद्रपुर में बेचने का प्रयास किया जा रहा था। बाद में वन विभाग ने चारों तस्करों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर जेल भेज दिया है।
शनिवार सुबह स्पेशल टॉस्क फोर्स को सूचना मिली कि रुद्रपुर में दुर्लभ प्रजाति का पेंगोलिन को बेचने का प्रयास किया जा रहा है। सूचना पर एसटीएफ की चेकिंग में भागने का प्रयास कर रहे चार युवकों को एसटीएफ ने दबोच लिया। तलाशी में उनके पास करीब 18 किलोग्राम का पेंगोलिन बरामद हुआ। पूछताछ में पकड़े गए तस्करों ने अपना नाम भोगपुर ढाम, तीरथनगर, जसपुर निवासी प्रदीप दास पुत्र गोरंगो दास, ग्राम सोंधा गोरिया, थाना दिपुरिया कला, पीलीभीत हाल शारदा कालोनी निवासी नरेंद्र ङ्क्षसह पुत्र सुभाष ङ्क्षसह, खानपुर नंबर एक, दिनेशपुर निवासी सुभाष मजुमदार पुत्र शिव कुमार और अरङ्क्षवद नगर, सितारगंज निवासी संजय विश्वास पुत्र नेपाल विश्वास बताया। बताया कि वह पेंगोलिन को रुद्रपुर में बेचने की फिराक में थे। बाद में वन विभाग ने चारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया।
जसपुर के जंगल से लाए थे पेंगोलिन
ऊधमसिंहनगर में दुर्लभ प्रजाति का पेंगोलिन की तस्करी बढऩे लगी है। बीते दिनों एसटीएफ और वन विभाग ने जाफरपुर में एक पेंगोलिन के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से ही एसटीएफ पेंगोलिन के तस्करों की तलाश में जुट गई थी। एसटीएफ के कुमाऊं प्रभारी एमपी ङ्क्षसह ने बताया कि पूछताछ में तस्करों ने बताया कि बरामद पेंगोलिन ऊधमसिंहनगर के थाना जसपुर से सटे जंगल से पकड़ा गया था। इसमें जसपुर के ग्राम भोगपुर ढाम का एक और युवक भी शामिल था। जो जंगल से पकड़कर पेंगोलिन को लाया था। अब एसटीएफ और वन विभाग उसकी तलाश में जुटी हुई है।
नौ लाख में हुआ था सौदा
पेंगोलिन का सौदा रुद्रपुर के एक व्यक्ति को 9 लाख रुपये में हुआ था। एसटीएफ प्रभारी एमपी ङ्क्षसह ने बताया कि पूछताछ में चारों तस्करों ने बताया कि 18 किलो के पेंगोलिन का 50 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से सौदा तय हुआ था। अब एसटीएफ ने तस्करों से पूछताछ के बाद पेंगोलिन का सौदा करने वाली की तलाश तेज कर दी है।
शेड्यूल-1 कैटगरी का प्राणी है पेंगोलिन
पेंगोलिन भी बाघ की तरह शेड्यूल-1 कैटेगरी का वन्य प्राणी है। इसके शल्क भी बाघ की खाल के बराबर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत रखते हैं। स्थानीय बाजार में 50 हजार रुपये किलो तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत डेढ़ से दो लाख रुपये प्रति किलो है। दवा बनाने में इनका उपयोग अवैध रूप से चीन जाता रहा है।
शक्तिवर्द्धक दवाइयां बनाने में होता है इस्तेमाल
पैंगोलिन की खाल की दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में काफी डिमांड है। इसकी परतदार खाल का इस्तेमाल शक्ति वर्धक दवाइयों, ड्रग्स, बुलट प्रूफ जैकेट, कपड़े और सजावट के सामान के लिए किया जाता है। ज्यादा डिमांड के चलते इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है. रुपयों के लालच में पैंगोलिन की तस्करी भी बढ़ गई है. जहां 1990 से 2008 के बीच भारत में इनके शिकार का औसत सालाना तीन था, वहीं 2009 से 2013 में ये बढ़कर 320 हो गया है. इसे देखते हुए अब पैंगोलिन के संरक्षण के लिए विशेष दलों का गठन भी किया गया है।