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ऋषिकेश व नैनीताल में मिले पृथ्वी पर प्रारंभिक जीवन दर्शाने वाले समुद्री जीव जंतु के जीवाश्म

नैनीताल की डॉ. हर्षिता जोशी ने बताया कि यह खोज जीवन की उत्पत्ति की पहेली को सुलझाने में अहम साबित हो सकती है। इसके साथ ही गृहों में जीवन की मौजूदगी को समझने में भी सहायक सिद्ध होगी। मध्य हिमालय क्षेत्र में और जीवाश्म होने का अनुमान है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 12:52 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 01:00 PM (IST)
ऋषिकेश व नैनीताल में मिले पृथ्वी पर प्रारंभिक जीवन दर्शाने वाले समुद्री जीव जंतु के जीवाश्म
नैनीताल के खुर्पाताल क्षेत्र में मिले पियांजू सानियां स्पाइनोसा जीवाश्म के चित्र। सौ. हर्षिता

किशोर जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड में ऋषिकेश के कोडियाला में समुद्री सतह वाले स्पोंज का लार्वा मिलने का दावा नैनीताल की डॉ. हर्षिता जोशी ने अपने शोध में किया है। वहीं, नैनीताल के खुर्पाताल क्षेत्र की चट्टानों में पियांजू सानियां स्पाइनोसा मेटाजोना (समुद्री जीव जंतु) के जीवाश्म मिले हैं। यह करीब पांच अरब 41 करोड़ वर्ष पहले के हैं। चीन में मौजूद पियांजू जीवाश्म भारत में पहली बार मिला है।

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वर्तमान में पीजी कालेज पिथौरागढ़ में प्राध्यापक डॉ. हर्षिता का यह शोध प्री केंब्रियन रिसर्च जर्नल अमेरिका में प्रकाशित हुआ है। 2011 से 2016 में हुए शोध में पाया गया कि मसूरी, नैनीताल, ऋषिकेश में पृथ्वी पर प्रारंभिक जीवन को दर्शाने वाले जीवाश्म मौजूद हैं। यह शुरुआती बहुकोशिकीय और मेटाजोना जीवों की असाधारण विविधता को दर्शाते हैं। कुमाऊं विवि भूगर्भ विज्ञान विभाग के प्रो. राजीव उपाध्याय, वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलाजी की पूर्व विज्ञानी डा. मीरा तिवारी के निर्देशन में हर्षिता ने यह शोध पूरा किया।

नैनीताल, ऋषिकेश व मसूरी था समुद्री तट: डॉ. हर्षिता के शोध पत्र के अनुसार, आज जहां गगनचुंबी हिमालय है, वहां करीब पांच अरब 41 करोड़ साल पहले समुद्र था। नैनीताल, मसूरी और ऋषिकेश आदि हिमालय का समुद्री तट हुआ करता था। हिमयुग खत्म हुआ तो समुद्र का तापमान बढ़ा। वहीं, ज्वालामुखी से निकलने वाले पोषक तत्वों ने समुद्री तट में जैव विविधता को बढ़ाया। इन जीवों के ही जीवाश्म हिमालयीय क्षेत्र में पाए जाते हैं। इसी कड़ी में नैनीताल क्षेत्र में पियांजू सानियां नामक जीवाश्म खोजा गया है।

यह जीवाश्म अब तक चीन के दोसंतुओं क्षेत्र में ही मिला था। इस जीवाश्म की नैनीताल में उपस्थिति से साफ है कि आज का उत्तरी भारत और दक्षिणी चीन तब एक ही समुद्र का हिस्सा थे। यह समुद्र मेटाजोना अर्थात समुद्री जीव बहुल था। शोध में यह भी पता चला है कि तब समुद्र के पानी का तापमान 70-80 डिग्री था। भू-रसायनिक अध्ययन से पता चला कि कम आक्सीजन के चलते बदली परिस्थिति में और पोषक तत्व बढ़ने से समुद्र में नए जीवों को विकसित होने का मौका मिला।


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