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वनमंत्री हरक सिंह रावत को लोक निर्माण विभाग न मिलने का मलाल NAINITAL NEWS

थर्मल कैमरों के शुभारंभ के मौके पर उन्होंने कहा कि वह उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सरकार में विभिन्न विभागों में मंत्री रहे लेकिन कोई उन्हें लोनिवि देता ही नहीं है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 09:37 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 09:37 AM (IST)
वनमंत्री हरक सिंह रावत को लोक निर्माण विभाग न मिलने का मलाल NAINITAL NEWS
वनमंत्री हरक सिंह रावत को लोक निर्माण विभाग न मिलने का मलाल NAINITAL NEWS

रामनगर, जेएनएन : वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को लोक निर्माण विभाग नहीं मिलना खल रहा है। थर्मल कैमरों के शुभारंभ के मौके पर उन्होंने कहा कि वह उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सरकार में विभिन्न विभागों में मंत्री रहे, लेकिन कोई उन्हें लोनिवि देता ही नहीं है। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री लोनिवि को अपने पास ही रखते हैं। केवल इंदिरा हृदयेश को ही लोक निर्माण विभाग मिला था। हालांकि यह बात उन्होंने मजाकिया अंदाज में कही। लेकिन उनके इस मजाकिया अंदाज पर भी लोग चर्चा करते दिखाई दिए।

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वन मंत्री ने कहा कि जंगल और जनता के बीच में खाई तेजी से बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि इस वजह से प्रदेश के लोग अन्यत्र बसने को विवश हो रहे हैं। ये बातें वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने सीटीआर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही। लालढांग चिलरखाल रोड में वन अधिनियम के चलते लगी रोक पर भी उनका दर्द छलका। कहा कि छोटे से राज्य में छह नेशनल पार्क होने से ग्रामीणों को समस्या हो रही है। पहले लोगों का जीवन जंगलों से जुड़ा था। आज नेशनल पार्क व टाइगर रिजर्व के नियम तथा ईको सेंसेटिव जोन की वजह से जनता व जंगल के बीच खाई बढ़ती जा रही है। ईको सेंसेटिव व बफर क्षेत्र से ग्रामीणों के अधिकार खत्म हो रहे हैं। इसलिए उन्होंने अधिकारियों ने ईको सेंसेटिव जोन व बफर जोन की सिफारिश नहीं करने को कहा।

मंत्री ने कहा कि लालढांग चलरखाल सड़क बनाने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे हैं, मगर कुछ एनजीओ कंडी मार्ग बनने के डर से लालढांग चिलरखाल रोड पर रोक लगा रहे हैं। कहा कि जरूरत पड़ी तो इस मामले में वह प्रधानमंत्री से भी मिलेंगे। इस दौरान विधायक दीवान सिंह बिष्ट भी रामनगर में ईको सेंसेटिव जोन लागू करने से वनाधिकारियों से खासे नाराज दिखे। उन्होंने साफ  कहा कि वनाधिकारी बीच का रास्ता निकालने के बजाय अपना निर्णय जनता पर थोपते हैं। यदि रामनगर में ईको सेंसेटिव लागू हो गया तो गांव के लोग बर्बाद हो जाएंगे।


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