तराई के जलाशयों के आसपास विदेशी पक्षियों के पहुंचना शुरू, इस बार होगी ये व्यवस्था
वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त दीप चंद्र आर्य ने सभी डीएफओ को निर्देश दिए हैं कि प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए अलग से टीम गठित की जाएगी। जिन्हें पक्षियों की निगरानी करने के साथ शिकारियों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी भी मिलेगी।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : अक्टूबर का पहला हफ्ता बीतने वाला है। अब तराई के जलाशयों के आसपास विदेशी पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
ऐसे में वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त दीप चंद्र आर्य ने सभी डीएफओ को निर्देश दिए हैं कि प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए अलग से टीम गठित की जाएगी। जिन्हें पक्षियों की निगरानी करने के साथ शिकारियों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी भी मिलेगी।
इसके अलावा जगह की संभावना के हिसाब से बर्ड वाचिंग ट्रेल निर्माण का प्रस्ताव भी बनाने को कहा गया है। ताकि शोधार्थी और पक्षी प्रेमियों को सुविधा मिले।
तराई में स्थित नानकसागर, तुमडिय़ा डैम, हरिपुरा, बौर, टनकपुर बैराज, बैगुल, धौरा डैम आदि जगहों पर हर साल जाड़ों की शुरूआत में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं।
साइबेरिया से लेकर तिब्बत तक की प्रजाति यहां अस्थायी डेरा जमाती है। एशियन वुलिनेक, लेसर एजुटेंट, सरस क्रेन, ओरियंटल डाटर, ब्लैक नेक्ट स्ट्राक और पेंटेड स्ट्राक आदि प्रजाति इसमें शामिल है।
यहीं वजह है कि पिछले साल तराई पूर्वी वन प्रभाग ने बैगुल-धौरा जलाशय को रामसर साइट में शामिल कराने का प्रयास शुरू किया था। तब भारतीय वन्यजीव संस्थान की टीम सर्वे को भी पहुंची थी। फिलहाल कई प्रक्रिया पूरी होना शेष है।
उत्तराखंड से अभी तक मात्र आसन कंजरवेशन रिजर्व ही इस सूची में शामिल है। रामसर साइट में शामिल होने पर अंतरराष्ट्रीय पहचान और प्रवासी पक्षियों के संरक्षण को लेकर फंड भी मिलता है।
वहीं, वन विभाग का कहना है कि पिछले साल आए पक्षियों की फोटोग्राफी भी कराई गई थी। इन प्रमाण से इस साल आने वाली प्रजातियों का मिलान किया जाएगा। ताकि पता चल सके कि किसी नई प्रजाति ने तो तराई के जलाशयों को ठिकाना तो नहीं बनाया।
वन सरंक्षक पश्चिमी वृत्त दीप चंद्र आर्य ने बताया कि तराई के जलाशयों में अब प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू होगा। इनकी सुरक्षा को लेकर खासा सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।