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5 Planets Conjunction: आसमान में एक ही कतार में दिए 5 ग्रह, 17 साल बाद 2040 में ही ऐसा देखने को मिलेगा नजारा

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि अपने पथ पर घूमते ग्रह कभी-कभी एक दूसरे के करीब आ जाते हैं। मगर पांच ग्रहों का एक-दूसरे के करीब आना दुर्लभ संयोग है।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaPublished: Tue, 28 Mar 2023 11:08 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2023 11:08 PM (IST)
5 Planets Conjunction: आसमान में एक ही कतार में दिए 5 ग्रह, 2040 में फिर दिखेगा ऐसा नजारा

नैनीताल, जागरण संवाददाता। मंगलवार को सूरज ढलने के बाद अंधेरा गहराते ही हमारे सौर परिवार के पांच ग्रहों के एक दूसरे के करीब पहुंचने का अद्भुत संयोग बना। बुध (मरकरी), शुक्र (वीनस), गुरु (जुपिटर), मंगल (मार्स) व अरुण (यूरेनस) की चमक देखते ही बनी। काल गणना के लिहाज से यह खगोलीय घटना विज्ञानियों के लिए महत्वपूर्ण थी। हालांकि फोटोग्राफी के लिहाज से इन्हें एक साथ सामान्य कैमरे में कैद कर पाना संभव नहीं हो सका।

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आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि अपने पथ पर घूमते ग्रह कभी-कभी एक दूसरे के करीब आ जाते हैं। मगर पांच ग्रहों का एक-दूसरे के करीब आना दुर्लभ संयोग है।

आकाश में ग्रहों को कब और कहां देखें?

प्लैनेट परेड देखने का सबसे अच्छा समय मंगलवार 28 मार्च को सूर्यास्त के ठीक बाद का है। सूर्यास्त के 30 मिनट के भीतर ग्रह आसमान से गायब होने लगे। सूर्यास्त के ठीक बाद पश्चिम की में दिखाई दिए। भारत में यह ग्रह शाम 6:36 बजे से शाम 7:15 बजे के बीच दिखाई दिए।

मंगलवार को एक तरफ शुक्र था तो दूसरी ओर गुरु चमक बिखेर रहा था। इनके साथ ही सांझ ढलने के थोड़ी देर बाद बुध ग्रह भी नजर आने लगा था। यह सभी पश्चिम दिशा में क्षितिज के करीब ही थे। जो आसमान में अपनी सुंदरता का अस्तित्व साबित करने के लिए चमक बिखेर रहे थे।

अंधेरा बढ़ने के बाद मंगल ग्रह भी नजर आने लगा था, जो कभी हद तक लालिमा लिए हुए था। इनके बीच में ही यूरेनस भी नजर आ रहा था। इस खगोलीय घटना में सबके ऊपर चंद्रमा की मौजूदगी रही। रात के पहले चरण में इन सभी को देखा गया।

हालांकि यूरेनस को देखने के लिए दूरबीन की मदद लेनी पड़ी। डा. पांडेय ने बताया कि ग्रहों की गति की पुष्टि करने के लिए ग्रह विज्ञानी इस तरह की घटनाओं का अध्ययन करते हैं और पिछले आंकड़ों से मिलान करते हैं। जिससे काल गणना भी की जाती है।


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