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उत्तराखंड में सांप और अजगर के लिए बनाया गया पहला 'फ्लाईओवर'

उत्तराखंड वन विभाग ने प्रदेश का पहला ईको ब्रिज तैयार किया है। यह ब्रिज इंसानों के लिए नहीं बल्कि जमीन पर रेंग कर चलने वाले सरीसृप प्रजातियों के लिए है। बांस रस्सी व घास से महज दो लाख लागत से बना यह पुल तैयार हो चुका है।

By Edited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 10:27 AM (IST)
उत्तराखंड में सांप और अजगर के लिए बनाया गया पहला 'फ्लाईओवर'

हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : उत्तराखंड वन विभाग ने एक अनूठी पहल करते हुए प्रदेश का पहला ईको ब्रिज तैयार किया है। यह ब्रिज इंसानों के लिए नहीं बल्कि जमीन पर रेंग कर चलने वाले सरीसृप प्रजातियों के लिए है। हाईवे क्रास करने के दौरान वाहनों से कुचलकर मरने वाले सरीसृपों की जिंदगी बचाने के लिए यह प्रयास रामनगर वन प्रभाग ने किया है। बांस, रस्सी व घास से महज दो लाख लागत से बना यह पुल तैयार हो चुका है।

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हल्द्वानी व तराई की अधिकाश प्रमुख सड़कें जंगलों के बीच से निकलती है। वन बहुल क्षेत्र होने के कारण अक्सर हाथी, बाघ, गुलदार के अलावा हिरण व नीलगाय भी सड़कों पर नजर आती है। जंगलों के बीच से गुजरने वाली सड़क इंसानों के साथ वन्यजीवों के लिए भी अब आम रास्ता ही बन चुकी है। बड़े वन्यजीव दूर से नजर आने और उनसे डर की वजह से भी चालक अपने वाहन पहले ही रोक लेते हैं। मगर साप, अजगर, मानीटर लेजर्ड जैसे सरीसृपों के अलावा बंदर व गिलहरी अक्सर हादसों का शिकारी होकर दम तोड़ देते हैं।

इन्हीं हादसों को देखते हुए डीएफओ रामनगर चंद्रशेखर जोशी ने कालाढूंगी रेंज में ईको ब्रिज बनाने की कवायद शुरू की। 80 फीट लंबा है ब्रिज कालाढूंगी से नैनीताल हाईवे पर छोटी हल्द्वानी से दो किमी आगे एक तीखा मोड़ है। उतार पर होने के चलते पहाड़ से आने वाली गाड़ियां तेजी से उतरती है। टूरिस्ट सीजन में इस हाईवे पर ट्रैफिक और बढ़ जाता है। मोड़ व उतार के कारण चालक ब्रेक भी नहीं मारते, जिससे यहां सरीसृपों की जिंदगी पर खतरे का डर ज्यादा रहता है। इसी के मद्देनजर वन विभाग ने यहां करीब 80 फीट लंबा ईको ब्रिज बनाया। इसे बनाने में जूट की रस्सी, बास की लकड़ी और कुश घास का इस्तेमाल किया गया है।

कैमरे से पता चलेगा हाल वन विभाग ने पुल तैयार करने के बाद इसके चारों तरफ ट्रैप कैमरे भी लगाए हैं। इनसे सरीसृप प्रजातियों की पुल पर गतिविधि का पता चलेगा। वन विभाग सरीसृपों की गतिविधि पर रिसर्च कर आगे की रणनीति भी तय करेगा। साथ ही कैमरों से पुल को नुकसान पहुंचाने वाले इंसानों के बारे में जानकारी मिलेगी।

चंद्रशेखर जोशी, डीएफओ रामनगर वन प्रभाग ने बताया कि बाघ-गुलदार, हाथी से लेकर जंगल में रहने वाले हर वन्यजीव की अपनी अहमियत होती है। पर्यावरण से लेकर भोजन श्रृंखला के लिहाज से सबका अलग योगदान है। सरीसृपों की जिंदगी को बचाने के लिए महकमे ने यह प्रयास किया है। बकायदा साइन बोर्ड लगाकर लोगों को इनके महत्व के बारे में बताया जाएगा। परिणाम अच्छे रहे तो और जगहों पर भी ईको ब्रिज बनाए जाएंगे।


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