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29पी धूमकेतु में हो रहा विस्फोट दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए बना जिज्ञासा का कारण

29पी धूमकेतु (29P Comet) अलग ढंग से सक्रिय है। जिसमें लगातार धमाके हो रहे हैं और ज्वालामुखी के समान सक्रिय है। ऐसा क्यों हो रहा है इसका पता लगाने के लिए विज्ञानी प्रयास कर रहे हैं। धूमकेतुओं में बर्फ होने के बावजूद रुक रुक कर विस्फोट होना बड़ी बात है।

By kishore joshiEdited By: Skand ShuklaPublished: Mon, 28 Nov 2022 10:03 AM (IST)Updated: Mon, 28 Nov 2022 10:03 AM (IST)
धूमकेतु हमारे सौरमंडल के सदस्य हैं, जो और ग्रहों की तरह सूर्य की परिक्रमा करते हैं।

जागरण संवाददाता, नैनीताल : सौरमंडल में एक असामान्य धूमकेतु पर इन दिनों जबर्दस्त विस्फोट हो रहा है। आश्चर्य की बात ये है कि इसमें ज्वालामुखी फट रहे हैं। इस धूमकेतु का नाम 29पी (29P Comet) है। समझ से परे गतिविधि होने के कारण यह धूमकेतु दुनियाभर के वैज्ञानिकों का आकर्षण बना हुआ है। इस पर निरंतर नजर रखी जा रही है।

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और ग्रहों की तरह सूर्य की परिक्रमा करते हैं धूमकेतु

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डाॅ शशिभूषण पांडेय ने बताया कि धूमकेतु हमारे सौरमंडल के सदस्य हैं, जो दूर की कक्षा में रहते हैं और ग्रहों की तरह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सामान्यतः सूर्य के नजदीक पहुंचने पर इनकी लंबी पूंछ निकल आती है। जिस कारण यह सौर मंडल में अपना खास स्थान रखते हैं।

29पी धूमकेतु में हो रहे विस्फोट

29पी धूमकेतु कुछ अलग ढंग से सक्रिय है। जिसमें लगातार धमाके हो रहे हैं और ज्वालामुखी के समान सक्रिय है। ऐसा क्यों हो रहा है, इसका पता लगाने के लिए विज्ञानी प्रयास कर रहे हैं। साथ ही आश्चर्यजनक बात यह है कि धूमकेतुओं में बर्फ होने के बावजूद रुक रुक कर विस्फोट होना बड़ी बात है।

चंद्रमा टाइटन में निकलता है गर्म पानी

वैसे धूमकेतु में विस्फोट असंभव भी नहीं है। क्योंकि शनि ग्रह के चंद्रमा टाइटन में भारी बर्फ होने के कारण, उसमे गर्म पानी के ऊंचे फब्बारे निकलते हैं। इस धूमकेतु में हो रही गतिविधि को जानने के लिए स्पेस दूरबीन हब्बल की मदद भी ली जा रही है। इस

विस्फोट से बढ़ जाती है चमक

29पी धूमकेतु को इन दिनों मिथुन राशि के तारामंडल में देखा जा सकता है। विस्फोट होने के कारण इसकी चमक बढ़ जाती है तो कभी फीकी पड़ जाती है। इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। इस धूमकेतु में पहली बार 2014 में छोटे विस्फोट होते देखा गया था और इसकी खोज 1927 में हुई थी ।


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