तीसरे बाघ को भी ट्रांसलोकेट करने की कवायद शुरू, ओडिशा की घटना का उत्तराखंड में असर नहीं
राजाजी नेशनल पार्क भेजने के लिए कॉर्बेट नेशनल पार्क में तीसरे बाघ को रेस्क्यू करने की कवायद शुरू हो गई है। इस बार कोशिश होगी कि पर्यटन क्षेत्र से बाघ को न रेस्क्यू किया जाए। पर्यटन जोन से बाघों को रेस्क्यू करने के कारण संख्या कम होने हो रही है।
रामनगर, जागरण संवाददाता : राजाजी नेशनल पार्क हरिद्वार भेजने के लिए कॉर्बेट नेशनल पार्क में तीसरे बाघ को भी रेस्क्यू करने की कवायद शुरू हो गई है। इस बार कोशिश होगी कि पर्यटन क्षेत्र से बाघ को न रेस्क्यू किया जाए। पर्यटन जोन से बाघों को रेस्क्यू करने के कारण संख्या कम होने हो रही है। ऐसे में पर्यटक भी बाघों का दीदार नहीं कर पा रहे हैं। पर्यटन कारोबार से जुड़े लोग भी इसको लेकर ऐतराज जता चुके हैं। बता दें कि राजाजी की तरह ही ओडिशा में भी मध्यप्रदेश से बाघ को ट्रांसलोकेट किया जाना है। इस पर एनटीसीए ने तैयारी पूरी न होने का तर्क देते हुए रोक लगा दी है। जिसके बाद उत्तराखंड में भी बाघों के ट्रांसलोकेशन को लेकर सवाल उठने लगे थे। हालांकि वन विभाग ने इन सवालों को खारिज कर तीसरे बाघ को रेस्क्यू करने की कवायद शुरू कर दी है।
राजाजी नेशनल पार्क में बाघों की संख्या कम होने के कारण एनटीसीए ने कॉबेट से बाघों को रेस्क्यू कर वहां भेजने की योजना बनाई है। कुल पांच बाघों को भेजा जाना है। जिनमें दो पार्कों को पहले ही रेस्क्यू कर भेजा जा चुका है। तीन और बाघों को भेजा जाना है। ऐसे में तीसरे बाघ को भी रेस्क्यू करने की कवायद शुरू हो गई है। कॉर्बेट निदेश राहुल ने बताया कि इस बार कोशिश होगी की किसी पर्यटन जोन से बाघ को रेस्क्यू न किया जाए। जल्द ही बाघ को रेस्क्यू राजाजी पार्क भेजा जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ओडिशा में मध्य प्रदेश से लाए गए बाघ को शिकारियों ने मार दिया था और बाघिन आदमखोर हो गई थी। इस बाघिन को सीमित क्षेत्र में रखा गया तो एनटीसीए ने आपत्ति जताते हुए ट्रांसलोकेशन की योजना को ही रद्द कर दिया था। ऐसे में यहां भी बाघों को ट्रांसलोकेट करने को लेकर सवा पैदा हो गए थे। लेकिन अब स्थिति स्पष्ट हो गई है।
राजाजी में प्राकृतिक वास के अभ्यस्त हुए सीटीआर के बाघ
राजाजी टाइगर रिजर्व में पूर्व में छोड़े गए बाघ और बाघिन ने शिकार करना शुरू कर दिया है और वे क्षेत्र में अपने प्राकृतिक वास की तरह व्यवहार कर रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक राजाजी में छोड़े गए बाघ और बाघिन ने अपने क्षेत्र निर्धारित कर लिए हैं। दोनों ने ही शिकार करना शुरू कर दिया है। वे तेजी से इस क्षेत्र में अपनी गतिविधि को बढ़ा रहे हैं। ऐसे में एनटीसीए की ओर से अन्य बाघों को राजाजी में ट्रांसलोकेट करने को हरी झंडी दे दी गई है। ऐसे में अब तीन और बाघों को ट्रांसलोकेट करने की कवायद शुरू हो गई है।
इसलिए राजाजी पार्क भेजे जा रहे हैं बाघ
राजाजी नेशनल पार्क के पश्चिम भाग में सिर्फ दो बाघिन हैं और दोनों ही 18 वर्ष से अधिक उम्र की हैं। पूर्व भाग से पश्चिम का क्षेत्र सड़क मार्ग के कारण कटा हुआ है। राजाजी में करीब 37 बाघ बताए जाते हैं। ऐसे में कॉर्बेट से पांच बाघों को राजाजी के पश्चिम भाग में लाया जाना है। सीटीआर में बाघों को रेस्क्यू करने के लिए डॉ: दुष्यंत शर्मा के नेतृत्व में टीम का गठन किया है। बाघों को पकड़ने के तुरंत बाद भेज दिया जा रहा है। राजाजी पार्क में एक दिन बाघा को बाड़े में रखने के बाद रिजर्व एरिया में छोड़ा जा रहा है। बाघों की निगरानी वनकर्मियों के साथ ही सेटेलाइट से भी की जा रही है। कुल दो बाघिन और एक तीन बाघ रेस्क्यू किए जाने हैं। पांच से छह साल के उम्र के ही बाघों को ट्रांसलोकेट किया जाना है।
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