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दो सप्ताह में शुरू होंगी परीक्षाएं, लेकिन अब तक किताबें नहीं छपवा सका उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय

Uttarakhand Open University latest news उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की परीक्षाएं जुलाई दूसरे सप्ताह से प्रस्तावित की गई हैं लेकिन अब तक एक दर्जन विषयों की किताबें नहीं छप पाई हैं। जिससे विद्यार्थियों को समय पर पाठ्य सामग्री उपलब्ध नहीं हो पा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 09:08 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 09:08 AM (IST)
दो सप्ताह में शुरू होंगी परीक्षाएं, लेकिन अब तक किताबें नहीं छपवा सका उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय
दो सप्ताह में शुरू होंगी परीक्षाएं, लेकिन अब तक किताबें नहीं छपवा सका उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय

हिमांशु जोशी, हल्द्वानी : उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की परीक्षाएं जुलाई दूसरे सप्ताह से प्रस्तावित की गई हैं, लेकिन अब तक एक दर्जन विषयों की किताबें नहीं छप पाई हैं। जिससे विद्यार्थियों को समय पर पाठ्य सामग्री उपलब्ध नहीं हो पा रही है और कई बार विवि के चक्कर काटने के बाद भी उनके हाथ निराशा लग रही है। यह स्थिति कोविड के बाद से बनी हुई है। विवि की ओर से इसके पीछे कागज महंगा होना बताया जा रहा है।

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यूओयू में किताबों के वितरण की व्यवस्था हमेशा से लचर रही है। वर्तमान में विवि के प्रदेश में आठ क्षेत्रीय सेंटर और 128 अध्ययन केंद्र हैं। इन क्षेत्रीय कार्यालयों में विवि से पाठ्य सामग्री भेजी जाती हैं, जहां से छात्र-छात्राओं को उनके विषयों की किताबें मिलती हैं। लेकिन विवि में एक दर्जन से अधिक विषयों की किताबें लंबे समय से नहीं आ सकी हैं। हल्द्वानी समेत तमाम क्षेत्रों के विद्यार्थी पूछताछ के लिए रोजाना यूओयू पहुंच रहे हैं, जहां से उन्हें किताबों के अभाव में खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।

यूओयू से करीब 85 हजार विद्यार्थी विभिन्न विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं। कुछ दिनों बाद परीक्षाएं भी होनी हैं। यूओयू के कुलसचिव प्रो. पीडी पंत का कहना है कि पुस्तकों की छपाई के लिए पहले ही एजेंसियों के साथ इसके रेट तय किए गए थे। लेकिन बाद में कागज की कीमतें बढऩे से एजेंसियां पुस्तकों को लेकर टालमटोल कर रही हैं। कोविड के बाद कागज में कमी आने से यह स्थिति बनी है। इसका असर परीक्षाओं को लेकर छपने वाली उत्तर पुस्तिकाओं पर भी पड़ सकता है। हालांकि, इस समस्या को दूर किया जा रहा है।

कुलपति उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय प्रो. ओपीएस नेगी ने बताया कि किताब एजेंसी को काफी पहले ही आर्डर दे दिया गया था। कुछ किताबें पहुंच चुकी हैं, जबकि कुछ विषयों की किताबें पहुंचने में देरी हुई है। आनलाइन भी सारी किताबें उपलब्ध हैं। विद्यार्थी विवि की आफिशियल वेबसाइट पर जाकर ई-बुक डाउनलोड कर सकते हैं।

ये किताबें नहीं हैं उपलब्ध

बीएससी प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष की रसायन विज्ञान, गणित और वनस्पति विज्ञान, बीए तृतीय वर्ष की शिक्षाशास्त्र, अंग्रेजी और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, एमए राजनीति विज्ञान प्रथम, तृतीय और चतुर्थ सेमेस्टर, एमए अर्थशास्त्र चतुर्थ सेमेस्टर, एमए संस्कृत प्रथम और चतुर्थ सेमेस्टर, एमए समाजशास्त्र चतुर्थ सेमेस्टर, एमए इतिहास, शिक्षाशास्त्र।

दूरस्थ क्षेत्रों में पीडीएफ भी नहीं हो रहा डाउनलोड

विवि की ओर से आफलाइन के अलावा आनलाइन भी किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं। वर्तमान में भी लगभग सभी विषयों की किताबें उपलब्ध हैं। लेकिन ओखलकांडा, धारी, भीमताल, कोटाबाग, रामनगर के आसपास रहने वाले विद्यार्थियों को आनलाइन पाठ्य सामग्री भी इंटरनेट के अभाव में उपलब्ध नहीं हो पा रही है। यही स्थिति प्रदेशभर में विभिन्न ग्रामीण इलाकों में रहने वाले विद्यार्थियों के साथ भी बनी हुई है।

ओखलकांडा क्षेत्र में रहने वाले एमए राजनीति विज्ञान प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थी हरिप्रिया नयाल और पुष्पा नयाल का कहना है कि परीक्षाओं की तिथि नजदीक आ गई हैं, पर अब तक किताबें नहीं मिल पाई हैं। विवि में बने पुस्तकालय से किताबों के बारे में जानकारी मांगने पर बताया गया कि किताबें उपलब्ध नहीं हैं।


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