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पूर्व विधानसभा अध्यक्ष को पहाड़ में मिलता इलाज तो न भेजना पड़ता दिल्ली

पहाड़ में इलाज की सुविधा मिल गई होती तो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल को दिल्ली नहीं भेजना पड़ता।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 23 Dec 2018 12:25 PM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 12:25 PM (IST)
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष को पहाड़ में मिलता इलाज तो न भेजना पड़ता दिल्ली
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष को पहाड़ में मिलता इलाज तो न भेजना पड़ता दिल्ली

हल्द्वानी, जेएनएन : पहाड़ में इलाज की सुविधा मिल गई होती तो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल को दिल्ली नहीं भेजना पड़ता। हालांकि, उनके लिए हल्द्वानी से निजी चिकित्सालय की एंबुलेंस अल्मोड़ा भेजी गई। इसके बाद पंतनगर से उन्हें एयर एंबुलेंस से दिल्ली निजी चिकित्सालय में भर्ती किया गया। शुक्र है, उनकी हालत स्थिर है, लेकिन दुर्भाग्य है आज तक व्यवस्था के लिए जिम्मेदार हुक्मरान कुमाऊं में एक भी हार्ट स्पेशलिस्ट नियुक्ति नहीं कर सके।

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ऐसा नहीं कि राज्य बनने के 18 साल के दौरान किसी एक दल की ही सरकार रही हो। बारी-बारी से कांग्रेस व भाजपा सत्ता में रहे। जनप्रतिनिधियों की संख्या बढ़ी, तो तमाम ओहदे भी बढ़े। इसके बावजूद स्वास्थ्य सुविधाओं पर किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया। जनप्रतिनिधि अपना इलाज जैसे-तैसे महंगे निजी चिकित्सालयों में करा लेते हैं, लेकिन आम आदमी आज भी इलाज के लिए तरस रहा है। 

दावे होते रहते हैं, लेकिन हकीकत कुछ भी नहीं

पूर्व में कांग्रेस सरकार ने जिला अस्पतालों को पूरी तरह सुविधायुक्त बनाने का दावा किया था। यहां तक दूसरे राज्यों के डॉक्टरों को लाने के बड़े-बड़े दावे किए थे। सब हवा-हवाई रहा, जबकि, कांग्रेस की सरकार में गोविंद सिंह कुंजवाल विधानसभा अध्यक्ष भी रहे। अब भाजपा की सरकार है। स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है, जिन्होंने एक साल में एक हजार डॉक्टर नियुक्ति करने का दावा किया था, लेकिन 700 डॉक्टर भी नियुक्ति नहीं कर सके। इसमें से भी 200 डॉक्टर बीडीएस की डिग्री वाले भेज दिए, जो बदहाल अस्पतालों में न ही ठीक से दांत निकाल सकते हैं और नही पूरी तरह इलाज करने में समर्थ हैं। कभी सेना के अस्पतालों में तो कभी अद्र्धसैनिकों के अस्पतालों में इलाज उपलब्ध कराए जाने का दावा किया जा रहा है। हकीकत में स्वास्थ्य सेवाओं की कोई भी ठोस पॉलिसी अभी तक सामने नहीं आई है।

कैथ लैब तक नहीं बना सकी सरकार

राज्य सरकार कुमाऊं के सबसे बड़े डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में भी कैथ लैब तक नहीं बना सकी है। इसके लिए आठ साल पहले सात करोड़ रुपये का प्रस्ताव बना था। इस बीच भाजपा व कांग्रेस, दोनों की सरकार बनी। इसके बावजूद किसी ने इस प्रस्ताव को गंभीरता से नहीं लिया।

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