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Tantra Ke Gan : कोरोना की जंग में दिखा डा. अरुण जोशी का कुशल प्रबंधन, 2838 को मिली नई जिंदगी

कोरोना मरीजों के निकट जाना तो दूर संक्रमित का नाम सुनते ही रूह कांपने लगी थी। ऐसी महामारी के बीच चिकित्सा अधीक्षक डा. अरुण जोशी लगातार मरीजों के इलाज में जुटे रहे। न केवल खुद मरीजों के बीच में रहे बल्कि पूरी टीम को इलाज के लिए प्रेरित करते रहे।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 08:42 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 08:42 PM (IST)
Tantra Ke Gan : कोरोना की जंग में दिखा डा. अरुण जोशी का कुशल प्रबंधन, 2838 को मिली नई जिंदगी
डा. जोशी ने उन नियमों का पालन भी बखूबी करवाया।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कोरोना का महासंकट। जब हर कोई एक-दूसरे से दूरी बनाए हुए था। कोरोना मरीजों के निकट जाना तो दूर, संक्रमित मरीज का नाम सुनते ही रूह कांपने लगी थी। ऐसी महामारी के बीच चिकित्सा अधीक्षक डा. अरुण जोशी लगातार मरीजों के इलाज में जुटे रहे। न केवल खुद मरीजों के बीच में रहे, बल्कि पूरी टीम को कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए प्रेरित करते रहे। यही कारण है कि अब तक डा. सुशीला तिवारी कोविड अस्पताल में कुमाऊं भर से 2838 मरीज इलाज के बाद स्वस्थ होकर घर लौट गए।

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पल-पल मरीजों का हाल बताना भी चुनौती

कोरोना संक्रमित होने के बाद मरीजों से स्वजनों का मिलना बंद हो जाता है। ऐसे में स्वजनों को मरीज की स्टेट्स रिपोर्ट देना सबसे बड़ी चुनौती रही। डा. जोशी कहते हैं, ऐसे स्थिति में जहां डाक्टर संक्रमित मरीजों के बीच जाकर इलाज करने में जुटे रहे, वहीं फिर उन्हें पूरी रिपोर्ट तीमारदारों को भी अपडेट करनी थी। हम सभी ने इस चुनौती का भी सामना किया। वहीं इसके लिए हेल्पलाइन भी जारी की गई। जिसका लाभ तीमारदारों ने उठाया। वहीं भारत सरकार, राज्य सरकार से हर दूसरे दिन नए नियम आ रहे थे। डा. जोशी ने उन नियमों का पालन भी बखूबी करवाया।

जब देर रात पहुंचते रहते थे मरीज

एक समय ऐसा था, जब दिनभर ही नहीं, बल्कि रात-रात कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल में पहुंचते रहते थे। उस समय मरीजों को कोविड वार्ड में ही भर्ती करना आसान नहीं था। डा. जोशी कहते हैं, यह देखना भी जरूरी था कि संक्रमित मरीज सामान्य मरीजों के बीच न चला जाए। साथ ही इन मरीजों को दवा से लेकर भोजन तक उचित समय पर मिल जाए। इसके लिए वह हरसंभव प्रयास करते रहे।

जब एक-एक कर कोरोना योद्धा होने लगे संक्रमित

जब एक-एक कर कोरोना योद्धा यानी डाक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ व कर्मचारी और यहां तक खुद प्राचार्य ही संक्रमित हो गए तो ऐसे समय में भी डा. जोशी पूरी टीम का उत्साह बनाए रहे। आलम यह रहा है कि 37 डाक्टरों समेत कुल 93 लोग संक्रमित हो गए। इसके बावजूद अस्पताल में मरीजों को इलाज मिलते रहा।

टीम वर्क की वजह से जीती जंग- डा. जोशी

डा. अरुण जोशी कहते हैं, कोरोना से जंग लडऩा अकेले संभव नहीं था। पूरी टीम वर्क से ही कोरोना जैसी महामारी से लड़ पाए। इसमें अस्पताल के डाक्टरों से लेकर अन्य स्टाफ का महत्वपूर्ण योगदान रहा। स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन ने भी अपना सहयोग दिया। वहीं अस्पताल में संसाधन बढ़े और नए डाक्टरों की भी तैनाती हुई।


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