एक हेडलाइट के सहारे सड़क पर दौड़ रहे डंपर
खनन सीजन शुरू होने की वजह से सड़कों पर भारी वाहनों का दबाव बढ़ गया है। गाड़ियों की निकासी गेट पर एंट्री से पहले गाड़ी से संबंधित सभी कागजों को पूरा करना जरूरी है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: खनन सीजन शुरू होने की वजह से सड़कों पर भारी वाहनों का दबाव बढ़ गया है। गाड़ियों की निकासी गेट पर एंट्री से पहले गाड़ी से संबंधित सभी कागजों को पूरा करना जरूरी है। जिसमें सबसे अहम फिटनेस है, मगर गौला में एक हेडलाइट लगाकर दौड़ रहे कुछ वाहन कभी भी बड़े हादसों को दावत दे सकते हैं। ऐसे में इनकी फिटनेस को लेकर भी सवाल खड़ा होता है। पुलिस और परिवहन विभाग की यह सुस्ती सड़क पर कभी भी भारी पड़ सकती है।
ट्रक-डंपर, बड़े वाहन और कामर्शियल गाड़ियों की फिटनेस जरूरी है। वाहन को आरटीओ दफ्तर लाने के बाद आरआइ द्वारा पूरी गाड़ी का निरीक्षण किया जाता है। वाहन के ओके होने पर ही उसे पास किया जाता है। एआरटीओ प्रशासन संदीप वर्मा के मुताबिक हर माह औसतन 2500 गाड़ियों की फिटनेस होती है। यानी रोजाना 83 वाहन चेक होते हैं। वाहनों के निरीक्षण का जिम्मा सिर्फ एक आरआइ पर है। जबकि जरूरत के हिसाब से तीन पद होने चाहिए। एकमात्र वाहन चेकिंग अधिकारी को हफ्ते में एक दिन रामनगर एआरटीओ दफ्तर भी जाना होता है। इसके अलावा डीएम के निर्देश पर गौला निकासी गेटों पर कैंप लगाकर भी वाहनों की फिटनेस भी करनी होती है। वहीं, अफसरों के सड़क पर चेकिंग को लेकर दिलचस्पी नहीं लेने से अनफिट वाहन तक दौड़ रहे हैं। फिटनेस में यह जरूरी
-गाड़ी में पेंट ओके होने के साथ टूट-फूट नहीं होनी चाहिए।
-वाहन के आगे-पीछे और साइड में रेडियम होना जरूरी।
-नंबर प्लेट से छेड़छाड़ की बजाय स्पष्ट होनी चाहिए।
-गाड़ी के टायरों की स्थिति ठीक हो। खासकर अगले टायर।
-गति को नियंत्रित करने के लिए स्पीड गवर्नर अनिवार्य।
-वाहन मोडिफाइ न हो, यानी मूल स्वरूप से छेड़छाड़ न की जाए।
-पीछे की बाडी ज्यादा चौड़ी न हो। ताकि शीशे में पीछे की गाड़ी दिख सके। एक आरआइ होने से वाहन स्वामियों को दिक्कत आती है। दिनभर इंतजार करना पड़ता है। आनलाइन फीस कटाने के बाद गाड़ी की फोटो भेजनी पड़ती है। उसके बाद वाहन को आरटीओ आफिस लाकर चेक करवाते हैं। आरआइ की संख्या बढ़ने पर सहूलियत होगी।
पम्मी सैफी, ट्रांसपोर्ट कारोबारी