Move to Jagran APP

World Mental Health Day : अपने मन से न खाएं दवा, मनोचिकित्सक के परामर्श से निर्धारित समय तक ही औषधि की जरूरत

World Mental Health Day मनोचिकित्सक डा. रवि सिंह भैंसोड़ा बताते हैं मानसिक बीमारियों में दवाइयां का महत्व सीमित मात्रा में है। जरूरत के अनुसार ही मरीजों को दवाइयां दी जाती हैं। इसलिए सही समय पर सही परामर्श के बाद ही दवाइयां ली जाएं।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sun, 10 Oct 2021 04:21 PM (IST)Updated: Sun, 10 Oct 2021 04:21 PM (IST)
World Mental Health Day : अपने मन से न खाएं दवा, मनोचिकित्सक के परामर्श से निर्धारित समय तक ही औषधि की जरूरत
रविवार को डा. रवि दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर कार्यक्रम में थे।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : World Mental Health Day : आज जिस तरह की भागमभाग व प्रतिस्पर्धी जीवनशैली हो चुकी है। इसकी वजह से लोग मानसिक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। कोविड के बाद यह संख्या और तेज हुई है। कई बार लोग मानसिक बीमारियाें से अन्जान रहते हैं, लेकिन तमाम लोग खुद ही दवाइयां खाने लगते हैं। ऐसे में बीमारी तो ठीक होती नहीं, लेकिन कई तरह की शारीरिक परेशानियां घेर लेती हैं। इन दवाइयों की भी लत लग जाती है। शहर के स्पर्श न्यूरोसाइकेट्रिक सेंटर के मनोचिकित्सक डा. रवि सिंह भैंसोड़ा बताते हैं, मानसिक बीमारियों में दवाइयां का महत्व सीमित मात्रा में है। जरूरत के अनुसार ही मरीजों को दवाइयां दी जाती हैं। इसलिए सही समय पर सही परामर्श के बाद ही दवाइयां ली जाएं। अाज सबसे अधिक जरूरी लोगों के मानसिक बीमारियों को लेकर सचेत रहने की है। रविवार को डा. रवि दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर कार्यक्रम में थे। उन्होंने कुमाऊं भर से फोन करने वाले लोगों काे मानसिक बीमारियों को लेकर परामर्श दिया।

loksabha election banner

सवाल - बार-बार किसी चीज को करने की आदत है। यह आदत मुसीबत बन गई है। शक होने लगता है। ऐसे में क्या किया जाए?

डाक्टर - यह आब्सेसिव कंपलसिव डिसआर्डर (ओसीडी) की समस्या है। अगर आपकी सोच, कार्य और अापका रूटीन प्रभावित होने लगे तो आपको मनोचिकित्सक व मनोवैज्ञानिक से परामर्श लेना चाहिए। इसका इलाज संभव है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो बाद में यह समस्या और बढ़ जाती है।

सवाल- मेरी उम्र 70 वर्ष की है। घर में मुझे बेटे-बहू प्रताड़ित करते हैं। मुझे गुस्सा भी बहुत आता है। सोचती हूं कि चुप रहूं, लेकिन चुप नहीं रह पाती। आपे से बाहर हो जाती हूं।

डाक्टर- यह आम समस्या है। डिमेंशिया भी इसकी एक वजह हाे सकती है। ऐसी स्थिति आपको यह ध्यान रखना होता है कि जब तक आप न चाहें, आपको कई परेशान नहीं कर सकता है। झगड़ा होने की स्थिति में आप दूर चले जाएं। मंदिर में बैठकर ध्यान लगाएं। जिस काम में अच्छा मन लगता है, उसे करने लगें। अपने शौक वाले काम करें। छोटी-छोटी बातों से ध्यान हटाएं। मनोचिकित्सक व मनोवैज्ञानिक से परामर्श ले सकती हैं।

सवाल- पेशे से शिक्षक हूं। नींद नहीं आती है। बहुत परेशान रहती हूं। तनाव भी रहता है। शादी को छह साल हो चुके हैं। ऐसे में क्या किया जाना चाहिए?

डाक्टर- सोने-जागने का समय तय करें। बिस्तर का इस्तेमाल केवल सोने के लिए करें। बिस्तर में जाने के बाद मोबाइल देखें और न टीवी। बिस्तर में भोजन कतई न करें। शाम को पांच बजे के बाद चाय-काफी का सेवन न करें। सोने से दो घंटे पहले भोजन करें। सुबह योग व ध्यान से भी राहत मिलेगी।  

डिप्रेशन से बचने के लिए अपनाएं ये तरीका

-मन में नकारात्मक विचार न आने दें

- खुद का आकलन करते रहें

- योग व ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाएं

- आफिस के काम का बोझ घर न ले जाएं

- परिवार के साथ क्वालिटी समय बिताएं

- नया करने की कोशिश करते रहें

इन्होंने लिया परामर्श

रुद्रपुर से राजेश, बाजपुर से हरीश, हल्द्वानी से राजेंद्र सिंह, रुचि, सरोज, रेनू, हरीश, हुकुम सिंह, हरीश चंद्र, अल्मोड़ा से अनिल, बिंदुखत्ता से एलस जग्गी, भीमताल से हेमू पांडे, बागेश्वर से मनीष, पिथौरागढ़ से जीवन सिंह, चम्पावत से दिनेश चंद्र, खटीमा से जनमेजय आदि ने फोन कर परामर्श लिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.