डीएम ने निरस्त किया ठेका, अब शत्रु संपत्ति में पार्किंग का संचालन प्रशासन कराएगा
मल्लीताल मेट्रोपोल शत्रु संपत्ति में पार्किंग का संचालन अब जिला प्रशासन करेगा। जिलाधिकारी सविन बंसल ने पार्किंग ठेके की जांच में गड़बड़ी की पुष्टि के बाद ठेका निरस्त कर दिया।
नैनीताल, जेएनएन : शहर के मल्लीताल मेट्रोपोल शत्रु संपत्ति में पार्किंग का संचालन अब जिला प्रशासन करेगा। जिलाधिकारी सविन बंसल ने पार्किंग ठेके की जांच में गड़बड़ी की पुष्टिï के बाद ठेका निरस्त कर दिया था। अब इस पार्किंग से पालिका को आउट कर दिया गया है। पंचायत चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद पार्किंग का नये सिरे से टेंडर निकाला जाएगा।
दरअसल, पर्यटन सीजन के दौरान वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए फ्लैट्स पार्किंग ठेकेदार को ही पालिका मेट्रोपोल के मैदान का उपयोग पार्किंग के रूप में करने की अनुमति प्रदान करती है। पिछले दिनों डीएम ने इस पार्किंग का ठेका निरस्त कर दिया था। अब तक इस पार्किंग से होने वाली आय का 40 फीसद हिस्सा ठेकेदार व 20 फीसद पालिका व 40 फीसद शत्रु संपत्ति के कस्टोडियन को दिया जाता था। डीएम सविन बंसल ने बताया कि अब 60 फीसद प्रशासन का जबकि 40 फीसद कस्टोडियन को भेजा जाएगा। डीएम ने कहा है कि गड़बडिय़ां किसी भी दशा में बर्दास्त नहीं की जाएंगी।
बहुमंजिला पार्किंग के प्रस्ताव को हरी झंडी का इंतजार
नैनीताल : शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल में बहुमंजिला पार्किंग के लिए भेजे गए प्रस्ताव को केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा था। दरअसल जिला प्रशासन की ओर से पिछले साल अगस्त में शत्रु संपत्ति में हेलीपेड व मल्टीस्टोरी पार्किंग का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। केंद्र सरकार से प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति भी मिल चुकी थी। इस पार्किंग की क्षमता दो हजार वाहनों की है। शत्रु संपत्ति में निर्मित क्षेत्रफल 11385 वर्ग मीटर व रिक्त भूमि व परिसर का क्षेत्रफल 22489 वर्ग मीटर है। 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार के गजट नोटिफिकेशन के बाद मेट्रोपोल को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था। इसका कुल क्षेत्रफल 8.72 एकड़ है। वर्तमान में हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं के लिए सौ वाहनों की पार्किंग जबकि तीन सौ अन्य वाहनों की पार्किंग का संचालन किया जा रहा है। संपत्ति का बाजार मूल्य अनुमानित 125 करोड़ है। डीएम सविन बंसल का कहना है कि यदि जल्द प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली तो जिला प्रशासन निर्णय लेने में स्वतंत्र है।
यह भी पढ़ें : पलायन से खाली हो चुके गांव में खेती करने के लिए लौटे युवा, सलाम करें इनके हौसले को