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दो किमी दूर जाकर प्यास बुझाते हैं इंटर कॉलेज के छात्र, जानिए कहां हैं मामला

चंपावत जिले के लोहाघाट विकास खंड के राजकीय इंटर कॉलेज दिगालीचौड़ में पेयजल सुविधा नहीं होने से छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामान करना पड़ रहा है। इससे जहां मिड डे मील व्यवस्था पर असर पड़ रहा है वहीं साफ सफाई भी प्रभावित हो रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 02:12 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 02:12 PM (IST)
दो किमी दूर जाकर प्यास बुझाते हैं इंटर कॉलेज के छात्र, जानिए कहां हैं मामला

चम्पावत, जागरण संवाददाता : चंपावत जिले के लोहाघाट विकास खंड के राजकीय इंटर कॉलेज दिगालीचौड़ में पेयजल सुविधा नहीं होने से छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामान करना पड़ रहा है। इससे जहां मिड डे मील व्यवस्था पर असर पड़ रहा है, वहीं साफ सफाई भी प्रभावित हो रही है। भोजन माता को काफी दूर से पानी लाकर व्यवस्था चलानी पड़ रही है। इसके अलावा विद्यालय में सात साल से प्रधानाचार्य का पद भी खाली पड़ा हुआ है। विद्यालय को दान में मिली भूमि पर भी लगातार अतिक्रमण हो रहा है।

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कॉलेज में पानी न होने के कारण छात्र-छात्राएं प्यास बुझाने के लिए इंटरवल में दो किमी नीचे बिंडा गांव तक जाते हैं। भोजन माता को भी यहीं से पानी ढोकर दोपहर का भोजन तैयार करना पड़ता है। कॉलेज की समस्या यहीं खत्म नहीं होती। 560 छात्र संख्या वाले इस कॉलेज में वर्ष 2014 से यहां प्रधानाचार्य का पद का रिक्त चल रहा है। लंबे समय से दो प्रवक्ता और एक एलटी समेत कई चतुर्थ कर्मचारियों के पद भी खाली हैं। कार्यवाहक प्रधानाचार्य रमेश सिंह रावत ने बताया पांच नए गेस्ट टीचर आने से राहत मिली है, लेकिन अभी भी तमाम समस्याएं बरकरार हैं। कॉलेज की बाउंड्री चारों ओर से क्षतिग्रस्त हो गई है।

मवेशी चारे की तलाश में कैंपस में पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि कॉलेज को दान में मिली भूमि पर लगातार अतिक्रमण हो रहा है। विद्यालय के लिए बिंडा के ग्रामीणों की ओर से कुल 82 नाली जमीन दान में दी गई है। स्कूल की बाउंड्री नहीं होने से नाम दान भूमि पर अवैध रूप से अतिक्रमण हो रहा है। एसएमसी अध्यक्ष दान सिंह भंडारी ने बताया कि कई बार विभागीय अधिकारियों से पेयजल की व्यवस्था करने और चारदीवारी की मांग की गई है। लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शीघ्र कॉलेज की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो अभिभावक आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।


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