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कैलास मानसरोवर यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने लगाए थे फूल, अब महक रहे रास्‍ते NAINITAL NEWS

कैलास मानसरोवर यात्रा काल के समापन के लगभग एक माह बाद यात्रियों की तपस्या के फूल खिलकर इन दिनों नगर में रंगत बिखेर रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 06:16 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 08:48 AM (IST)
कैलास मानसरोवर यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने लगाए थे फूल, अब महक रहे रास्‍ते NAINITAL NEWS
कैलास मानसरोवर यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने लगाए थे फूल, अब महक रहे रास्‍ते NAINITAL NEWS

पिथौरागढ़ए जेएनएन : कैलास मानसरोवर यात्रा काल के समापन के लगभग एक माह बाद यात्रियों की तपस्या के फूल खिलकर इन दिनों नगर में रंगत बिखेर रहे हैं। कैलास मानसरोवर यात्रियों और पर्यटकों द्वारा मानसरोवर वाटिका में रोपे गए फूल आकर्षण का केंद्र बने हैं।

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नगर के शीर्ष में स्थित केएमवीएन पर्यटक आवास गृह और उल्का देवी मंदिर परिसर में बनी मानसरोवर वाटिका सभी को नयनाभिराम दे रही है। यह स्थल सभी का पसंदीदा बना है, जहां विभिन्न रंगों के पुष्प लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। पिकनिक मनाने से लेकर सुकून के पल व्यतीत करने को नगरवासियों सहित बाहर से आए लोग पुष्पों के बीच नैसर्गिक सौंदर्य का आनंद उठा रहे हैं। मालूम हो मानसरोवर वाटिका में कैलास मानसरोवर यात्री पौधरोपण करते हैं। पर्यटक आवास गृह के प्रबंधक एवं पर्यावरण प्रेमी दिनेश गुरु रानी द्वारा विगत कई वर्षों से एक पौधा धरती मां के नाम से अभियान चलाया गया है।

इस अभियान के तहत पिथौरागढ़ आने वाले पर्यटक, नेता, अधिकारी से लेकर खिलाड़ी आदि से वह पौधरोपण कराते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि कैलास मानसरोवर यात्रा पूरी कर वापस लौटते समय कैलास मानसरोवर यात्री यहां पर स्वेच्छा से पौधरोपण करते हैं और हिमालय बचाने की रजिस्टर में शपथ दर्ज कराते हैं। इसके चलते इस वाटिका को मानसरोवर वाटिका नाम दिया गया है। कैलास मानसरोवर यात्रियों द्वारा रोखड़ बन चुकी भूमि में रोपे गए पौधे, जहां वृक्ष बनने की कगार पर हैं वहीं प्रतिवर्ष रोपे जाने वाले पुष्प दीपावली तक अपनी खूशबू और रंगत बिखरते हैं। इस वर्ष भी एक बार मानसरोवर वाटिका में खिले अलग-अलग रंगों के पुष्पों ने छठा बिखेर दी है।

इस अभियान के सूत्रधार दिनेश गुरु रानी बताते हैं कि यहां पर चंडाक रोड किनारे लोगों ने अपने निर्माणाधीन मकानों का मलबा डाल दिया था । इससे यहां पर पेड़ पौधो को खतरा पैदा हो गया था। उसी मलबे को समतल करा कर उन्होंने यह अभियान चलाया। इसमें कैलास मानसरोवर यात्रियों का विशेष सहयोग रहा। प्रत्येक यात्री यहां पहुंचते ही सबसे पहले पौधरोपण करते हैं। वर्तमान में सड़क के किनारे लगभग सात सौ मीटर तक वाटिका तैयार हो चुकी है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस प्रयास के बाद लोगों ने यहां पर मलबा डालना बंद कर दिया है। कुछ वर्षों पूर्व तक पर्यावरण के संकट बना यह क्षेत्र अब पर्यावरण का संदेश देने लगा है।


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