यहां गोलू देवता के दर पर मन्नत मांगने के लिए भक्त लगाते हैं स्टाम्प पेपर पर अर्जी
स्टाम्प पेपर का प्रयोग तो कोर्ट कचहरी या फिर सरकारी कार्य की प्रक्रिया में होता है लेकिन यहां हम बात कुछ और कर रहे हैं।
अल्मोड़ा, अनिल सनवाल : स्टाम्प पेपर का प्रयोग तो कोर्ट कचहरी या फिर सरकारी कार्य की प्रक्रिया में होता है, लेकिन यहां हम बात कुछ और कर रहे हैं। यदि हम कहें कि स्टाम्प पेपर को लोग अपने ईष्ट देवता को खुश करने और मनोकामना पूरी करने के लिए अर्जी के रूप में लगाते हैं, तो शायद आपको भरोसा न हो। लेकिन बात सौ फीसद सच है। अल्मोड़ा नगर से आठ किमी दूर स्थित गोलज्यू मंदिर में न्याय पाने या समस्या के समाधान के लिए भक्त यहां स्टाम्प पेपर पर अर्जी लगाते हैं। मान्यता है कि मंदिर में लगी अर्जी के बाद गोलज्यू देवता अपने भक्त की समस्या का समाधान करते हैं। कुमाऊं के लोग गोलज्यू को अपना ईष्ट देवता मानते हैं।
अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग पर चितई नामक स्थान पर गोलज्यू देवता का मंदिर है। यहां विराजमान देवता को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। मंदिर में लगे स्टांप पेपर पर लिखी हजारों अर्जियां इस बात की गवाह हैं कि मंदिर में लोग अपनी समस्या के समाधान और न्याय की गुहार लगाने आते हैं। मंदिर के पुजारी इस अर्जी को गोलज्यू देवता के चरणों में रखकर श्रद्धालु से इसे मंदिर परिसर में टंगवाते हैं। मंदिर परिसर के चारों ओर हजारों की संख्या में अर्जियां और घंटियां लगी हुई हैं।
जन श्रुतियों के अनुसार यह है कहानी
जनश्रुतियों के अनुसार कत्यूरी वंश के राजा झलराई की सात रानियां थी, लेकिन किसी से भी संतान नहीं थी। राजा एक दिन जंगल में शिकार करने के लिए गए। वहां वह रानी कलिंका को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए और दोनों ने विवाह कर लिया। कुछ समय बाद रानी गर्भवती हो गई। यह देख राजा की सातों रानियों को उनसे ईष्र्या होने लगी। रानी कलिंका ने जिस दिन बच्चे को जन्म दिया तब उन रानियों ने बच्चे को चुरा कर उनके स्थान पर सिल-बट्टा रख दिया। वहीं बच्चे को उन्होंने एक टोकरे में रख कर नदी में बहा दिया जो एक मछुआरे को मिला। उन्होंने बच्चे का पालन-पोषण किया। आठ वर्ष का होने पर बच्चे ने अपने पिता से चम्पावत जाने के लिए एक घोड़ा मांगा तो पिता ने इसे मजाक समझकर एक लकड़ी का घोड़ा दे दिया। वो उसी घोड़े को लेकर चंपावत पहुंच गए। वह उस स्थान पर पहुंचे जहां एक सरोवर में राजा की सात रानियां स्नान कर रही थीं। बालक वहां अपने घोड़े को पानी पिलाने लगा। यह देख सारी रानियां उस पर हसने लगीं, और बोलीं-मूर्ख बालक लकड़ी का घोड़ा भी कभी पानी पीता है। तब उस बालक ने कहा कि अगर रानी कलिंका एक पत्थर को जन्म दे सकतीं हैं तो क्या लकड़ी का घोड़ा पानी नहीं पी सकता। यह सुन सारी रानियां स्तब्ध रह गयीं। शीघ्र ही यह खबर पूरे राच्य में फैल गई। राजा को जब इसका पता चला तो उन्होंने सातों रानियों को दंड दिया और नन्हें गोलू को राजा घोषित कर दिया। कहा जाता है कि तब से ही कुमाऊं में उन्हें न्याय का देवता माना जाने लगा।
मंदिर में प्रतिदिन लगते हैं लगभग दस स्टांप पेपर
मंदिर में प्रतिदिन लगभग 10 अर्जियां लगती हैं। जिनमें कभी कभी एक से दो स्टाम्प पेपर भी होते हैं। स्टाम्प पेपर के अलावा लोग सादे कागज पर भी अर्जी टांगते हैं। जिनमें लोग अपनी समस्या को लिखते हुए उसके समाधान या फिर न्याय की गुहार लगाते हैं।
मनोकामना पूरी होने पर लोग चढ़ाते है घंटियां
मंदिर में हजारों घंटे-घंटियों का संग्रह है। जिन लोगों की मनोकामना पूरी हो जाती है वे यहां घंटी चढ़ाते हैं। मंदिर परिसर में हजारों की संख्या में छोटी-बड़ी घंटियां टंगी हैं। इसके अलावा वर्षों से मंदिर परिसर के दो कमरों में भी हजारों की संख्या में वह घंटियां रखी हैं जो तेज हवाओं या फिर किन्हीं अन्य कारणों से गिर गई थीं।
देश-विदेश से मंदिर आते हैं लोग
पं. प्रकाश चंद्र डालाकोटी, पुजारी गोलच्यू मंदिर, चितई ने बताया कि गोलज्यू देवता को न्याय के देवता के रूप में पूजते हैं। गोलज्यू के दर्शन करने और न्याय की गुहार लगाने के लिए देश-विदेश से लोग मंदिर आते हैं। जिन को कहीं से न्याय नहीं मिलता वह स्टांप पेपर या सादे कागज में यहां अर्जी टांगते हैं।