पूर्व सीएम खंडूरी की घोषणा भी नहीं आई काम, आज भी पैदल सफर करती है मंच बकोड़ा की ढाई हजार आबादी
मुख्यमंत्री के आश्वान से बाद भी मंच-बकोड़ा मोटर मार्ग का निर्माण शुरु नहीं हो सका है। वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी ने सड़क निर्माण की घोषणा की थी। जिला मुख्यालय से काफी दूर इस गांव के लोग मरीजों को डोली के सहारे अस्पताल तक पहुंचाते हैं।
चम्पावत, जेएनएन: मुख्यमंत्री के आश्वान से बाद भी मंच-बकोड़ा मोटर मार्ग का निर्माण शुरु नहीं हो सका है। वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी ने सड़क निर्माण की घोषणा की थी। सड़क के अभाव में आज भी जिला मुख्यालय से काफी दूर इस गांव के लोग मरीजों को डोली के सहारे अस्पताल तक पहुंचाते हैं। विधायक कैलाश गहतोड़ी ने अगले साल तक ग्रामीणों को सड़क की सौगात देने का भरोसा दिलाया है, लेकिन जंगलात के पेंच में फंसी इस सड़क का शीघ्र निर्माण होना निकट भविष्य में संभव नहीं लगता।
सड़क सुविधा से वंचित इस गांव की आबादी 2500 के करीब है। यातायात सुविधा न होने से जहां गांव के लोग पलायन करने को मजबूर हैं वहीं यहां निवास कर रहे लोगों को बीमार होने पर अपने परिजनों को डोली से मुख्य सड़क तक लाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है। इससे गर्भवती महिलाओं के साथ गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जान को खतरा बना रहता है। सड़क न होने से गांव की खेती किसानी भी काफी कम हो गई है। उत्पादों को बाजार न मिलने से लोग अपने खाने तक ही साग सब्जी और फसलों का उत्पादन करते हैं। आलम यह है कि किसानों को रोजमर्रा के जरूरी सामान को खच्चरों से ढोना पड़ता है। ग्राम प्रधान महेंद्र सिंह बोहरा, दिनेश सिंह बोहरा भवान सिंह बोहरा, सुन्दर सिंह बोहरा, विनोद सिंह बोहरा, जोहार सिंह बोहरा ने आदि ने बताया कि कई बार शासन प्रशासन से मुख्यमंत्री की घोषणा की याद दिलाते हुए सड़क बनाने की मांग की जा चुकी है लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बताया कि यदि मंच बकोड़ा मोटर मार्ग का निर्माण नहीं होता है तो क्षेत्रीय जनता शासन प्रशासन के खिलाफ आंदोलन शुरू कर देगी। लोनिवि के ईई एमसी पांडेय ने बताया कि सड़क स्वीकृत हो चुकी है लेकिन वन विभाग के अडंग़े के कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। जल्द से जल्द सड़क को हरी झंडी दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मंच बकोड़ा मोटर मार्ग का निर्माण मुख्यमंत्री की घोषणा में शामिल था, लेकिन 16 साल बीतने के बाद भी सड़क नहीं बन पाई है। गांवों को स ड़क से जोडऩे के लिए किसी भी जनप्रतिनिधि ने गंभीरता से प्रयास नहीं किया जिसका खामियाजा क्षेत्र की जनता भुगत रही है। -रंजना बोहरा, क्षेत्र पंचायत सदस्य, रिसासी बमनगांव
वन विभाग का अडंगा रोड में बाधक बन रहा है। विभाग के अधिकारियों को भी इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। जनता को बुनियादी सुविधाएं देना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन ग्रामीणों के लिए कोई भी सरकार मददगार नहीं हुई है। -सुन्दर सिंह बोहरा, ग्राम प्रधान बकोड़ा