नैनीताल के ऐतिहासिक बैंड स्टैंड पर मडराया संकट, झील के किनारे सीढ़ियों पर उभरीं एक इंच चौड़ी दरारें
नैनीताल के मल्लीताल में झील किनाने बने ऐतिहासिक बैंड स्टैंड (nainital band stand) पर खतरा मंडराने लगा है। इसका झुकाव झील की ओर बढ़ गया है। बैंड स्टैंड की सीढ़ियों पर करीब एक इंच चौड़ी दरारें उभर आई हैं।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : मल्लीताल में ऐतिहासिक बैंड स्टैंड के धंसने का खतरा बढ़ गया है। धंसाव से बैंड स्टैंड की सीढ़ियों पर करीब एक इंच चौड़ी दरारें उभर आई हैं। साथ ही बैंड स्टैंड झील की ओर झुका हुआ नजर आने लगा है। समय रहते यदि रोकथाम नहीं की गई तो शहर की ऐतिहासिक धरोहर नष्ट हो जाएगी।
अगस्त में झील में समा गई थी सुरक्षा दीवार
दो वर्ष पूर्व मल्लीताल स्थित बैंड स्टैंड के समीप करीब 50 मीटर हिस्से में दरारें उभर आई थीं, जिसकी रोकथाम पर संबंधित विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजतन दरारें बढ़ती गईं और बीते वर्ष बैंड स्टैंड के समीप की सुरक्षा दीवार झील में समा गई। टूटी दीवार को तो दोबारा दुरुस्त कर दिया गया, मगर दरार वाले हिस्से का कोई उपचार नहीं किया गया, जिससे अगस्त में करीब दस मीटर हिस्सा दीवार समेत झील में समा गया था। इधर, अब दरारें बैंड स्टैंड तक पहुंच गई हैं। बैंड स्टैंड की सीढ़ियों पर करीब एक इंच चौड़ी कई दरारें उभर आई हैं। देखने में बैंड स्टेंड झील की ओर झुका नजर आने लगा है।
करीब 100 मीटर हिस्से में हो रहा धंसाव
मल्लीताल कैपिटल सिनेमा हाल से बोट हाउस क्लब के समीप स्थित बोट स्टैंड का 100 मीटर हिस्सा बेहद संवेदनशील बना है। झील की सुरक्षा दीवार खोखली होने के कारण लंबे हिस्से में लगातार भूधंसाव हो रहा है। जिससे पूरे हिस्से के गिरने का खतरा बना है।
कहीं चूहे तो नहीं धंसाव का कारण
शहर में झील किनारे और पंत पार्क में चूहे बड़े-बड़े बिल बनाए हुए हैं। यह भी जमीन में धंसाव का एक बड़ा कारण हो सकता है। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता एके वर्मा ने बताया शहर में काफी चूहे हैं। बैंड स्टैंड के समीप चूहों के कई बिल हैं। चूहे जमीन को खोखला कर लंबे बिल बनाते है। जिससे वर्षा के दौरान पानी का रिसाव भी होता है।
ब्रिटिशकाल में जिम कॉर्बेट ने बनवाया था बैंड स्टैंड
शहर की तमाम इमारतों के साथ ही बैंड स्टैंड का भी ऐतिहासिक महत्व है। ब्रिटिश काल में इसे प्रसिद्ध शिकारी जिम काॅर्बेट ने बनवाया था। इतिहासकार डा. अजय रावत बताते हैं कि जिम काॅर्बेट तब नगरपालिका के सीनियर वाइस चेयरमैन हुआ करते थे। 1923 में उन्होंने करीब 23 हजार रुपये देकर अंग्रेज अधिकारियों और पर्यटकों के मनोरंजन के लिए बनवाया गया था। ब्रिटिशकाल से ही यहां बैंड बजता था। आजादी के बाद यहां पीएसी बैंड करीब 1970 तक लगातार संचालित होता रहा, जो पर्यटन सीजन के दौरान पर्यटकों को आकर्षित करता था। जिसके बाद यह परंपरा लगातार आगे नहीं बढ़ सकी। एडीबी की ओर से बैंड स्टेंड को एतिहासिक धरोहरों की सूची में शामिल कर 2016 में इसका जीर्णोद्धार भी किया गया था।
बैंड स्टैंड से कैपिटल सिनेमा हाल तक के करीब 35 मीटर हिस्से के ट्रीटमेंट को लेकर इस्टीमेट बनाया जा रहा है। जल्द ही इस्टीमेट तैयार कर बजट की मांग की जाएगी।
-एके वर्मा, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग