कुमाऊं के रिंगाल उत्पादों पर कोरोना की मार, नहीं मिल रहे खरीदार
विकासखंड भीमताल के अन्तर्गत चक बहेड़ी और हेड़िया गांव में रहने वाले बीस परिवार मुभमरी की कगार पर पहुंच गए हैं।
भीमताल, जेएनएन : विकासखंड भीमताल के अन्तर्गत चक बहेड़ी और हेड़िया गांव में रहने वाले बीस परिवार भुखमरी की कगार में पहुंच गए हैं। कभी यहां के हस्तशिल्पी ¨रगाल से अनाज रखने के लिए टपरे बनाया करते थे लेकिन आज वह खुद दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। ग्राम सभा चकबहेड़ी स्थित तोक बेड़ी गांव और हेड़िया गांव ¨रगाल निर्मित उत्पादों के लिए जाना जाता है। यहां रहने वाले बीस परिवार ¨रगाल से डलिया व टोकरी आदि उत्पाद बनाकर अपनी गुजर-बसर करते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण से बाजार में आयी मंदी के कारण आज यह परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।
कोरोना संक्रमण से यहां के कारीगरों को नाना प्रकार का सामान बनाने का जो आर्डर मिले थे वह धरे के धरे रह गए। इस कारण इनके द्वारा तैयार डलिया व टोकरियां उनके घरों में ही पड़ी हैं और अब खराब होकर नष्ट होती जा रही हैं। ज्ञातव्य हो बैड़ी में बनने वाले ¨रगाल के उत्पाद कभी भीमताल की शान हुआ करते थे। तब भीमताल धारी, ओखलकांडा, भवाली, हल्द्वानी समेत तराई व भाबर क्षेत्र समेत प्रदेश के कई अन्य शहरों में बैड़ी के बने टपरे (अनाज रखने में प्रयोग होने वाला) जिसे मिट्टी से लीपा जाता था। चवरा (बच्चों का झूला,) डालिया (खेतों से फसल ढोने वाला) समेत लगभग दो दर्जन से भी अधिक उत्पादों की बड़ी मांग थी। पहले तो आधुनिकता हावी हुई और अब जो थोड़ा बहुत हुनर बचा है तो वह भी मंदी के चलते समाप्त होने को है। ग्राम प्रधान हेड़िया गांव कमला देवी और ग्राम प्रधान चक बहेड़ी दिनेश चंद्र बताते है कि कारीगर मनोज कुमार, बालकिशन, जयलाल, आनंद प्रकाश, भुवन चंद्र, पूरन चंद्र, नवीन चंद्र, रत्न लाल, बालदेव बुद्धिराम समेत कई परिवारों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। ग्रामीण जनप्रतिनिधियोंने इन कारीगरों को आर्थिक राहत देने की मांग शासन-प्रशासन से की है।
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