संविदा के डॉक्टरों को मिले प्राइवेट प्रैक्टिस की अनुमति, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य शासन को लिखेंगे पत्र
रेडियोलॉजी एनेस्थीसिया समेत कई विभागों में डॉक्टरों की कमी दूर करना चुनौती बन गया है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज इन विभागों के संविदा डॉक्टरों को प्रैक्टिस करने की अनुमति देना चाहता है।
हल्द्वानी, जेएनएन : रेडियोलॉजी, एनेस्थीसिया समेत कई विभागों में डॉक्टरों की कमी को दूर करना चुनौती बन गया है। ऐसे में राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रशासन इन विभागों के संविदा डॉक्टरों को प्रैक्टिस करने की अनुमति देना चाहता है, ताकि डॉक्टर लंबे समय से तक टिके रह सकें। इस मंशा से प्राचार्य प्रो. चंद्र प्रकाश भैंसोड़ा ने शासन को भी अवगत करा दिया है। इसके लिए वह प्रस्ताव भी भेजेंगे।
ये है डॉक्टरों की स्थिति
रेडियोलॉजी विभाग में कम से कम एक-एक असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर होना चाहिए, लेकिन एसोसिएट प्रोफेसर लंबे समय से नहीं है। असिस्टेंट प्रोफेसर व प्रोफेसर ने इस्तीफा भेज रखा है। दोनों के छोडऩे पर विभाग पर ताला लटक जाएगा। एनेस्थीसिया विभाग में दो प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर व एक असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत हैं, लेकिन जरूरत पांच और डॉक्टरों की है। मरीजों की संख्या के लिहाज से डॉक्टर पर्याप्त नहीं हैं। वहीं, अस्पताल में ओवरऑल 23 फीसद से अधिक डॉक्टरों की कमी है।
श्रीनगर में है दोगुना वेतन
राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में असिस्टेंट प्रोफेसर को करीब 95 हजार, एसोसिएट प्रोफेसर को एक लाख 25 हजार और प्रोफेसर को एक लाख 45 हजार रुपये मासिक वेतन मिलता है, लेकिन राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में वेतन दोगुना है।
कई राज्यों में है अनुमति
प्राचार्य का कहना है कि कई राज्यों में संविदा पर कार्यरत डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस करने की अनुमति है। इन डॉक्टरों को नॉन प्रैक्टिस एलाउंस नहीं दिया जाता है। अगर इस तरह की व्यवस्था अपने राज्य के मेडिकल कॉलेजों में भी लागू हो तो कुछ राहत मिल सकती है।
यह भी पढ़ें : रानीखेत में मिला डायनासोर युग की दुर्लभ फर्न प्रजातियों का संसार
यह भी पढ़ें : रोजाना टनों के हिसाब से निकल रहे नारियल के खोखे में पल रहे डेंगू के मच्छर