Move to Jagran APP

चिपको आंदोलन चैप्‍टर का ऐसा असर पड़ा कि जंगल को आग से बचाने निकल पड़े तीन बच्‍चे

एक तरफ अराजक तत्व जंगलों के आग की भेंट चढ़ा रहे हैं। दूसरी तरफ पाठ्यक्रम में पेड़ बचाने के लिए उत्तराखंड के प्रमुख चिपको आंदोलन से प्रेरित होकर हाईस्कूल में पढऩे वाले तीन विद्यार्थी जंगलों को आग से बचाने में जुट गए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 06:05 AM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 06:05 AM (IST)
चिपको आंदोलन चैप्‍टर का ऐसा असर पड़ा कि जंगल को आग से बचाने निकल पड़े तीन बच्‍चे
सिलेबस के चिपको आंदोलन चैप्‍टर का ऐसा असर पड़ा कि जंगल को आग से बचाने निकल पड़े तीन बच्‍चे

धरमघर (पिथौरागढ़) पीएल वर्मा : एक तरफ अराजक तत्व जंगलों के आग की भेंट चढ़ा रहे हैं। दूसरी तरफ पाठ्यक्रम में पेड़ बचाने के लिए उत्तराखंड के प्रमुख चिपको आंदोलन से प्रेरित होकर हाईस्कूल में पढऩे वाले तीन विद्यार्थी जंगलों को आग से बचाने में जुट गए हैं। इन बच्चों के प्रयास से धरमघर कस्तूरा मृग विहार तक आग पहुंचने से रोका गया।

loksabha election banner

चौकोड़ी के हिमालया पब्लिक स्कूल में पढऩे वाले तीन छात्र विजय गैड़ा कक्षा दस, हिमानी जोशी कक्षा नौ और हिमानी जोशी कक्षा दस जंगलों की आग बुझाने में जुटे हैं। दिन में स्कूल और स्कूल से लौटने के बाद हरी झाडिय़ों को लेकर अपने आसपास के जंगलों में लगी आग बुझाने में जुटे रहते हैं। अभी तक इन तीन विद्यार्थियों ने सात किमी क्षेत्र में लगी आग बुझा कर मिसाल पेश की है। विद्यालय से लौटते ही तीनों बच्चे जंगलों में लगी आग बुझाने में जुट जाते हैं। 

इस अभियान का नेतृत्व कर रहे कक्षा दस के छात्र विजय गैड़ा बताते है कि उनके पाठ्यक्रम में चिपको आंदोलन है। चिपको आंदोलन के बारे में पढऩे से उन लोगों के मन में अपने आसपास के जंगल , वनस्पति और पेड़, पौधों को बचाने की प्रेरणा मिली। इस आंदोलन के पढऩे के बाद उन्हें पर्यावरण के महत्व के बारे में पता चला। इस बीच जब अपने आसपास  जंगल जलते देखे तो उन्होंने जंगलों को आग से बचाने का फैसला किया। तीनों विद्यार्थी की दैनिक कार्यो में प्रतिदिन जंगलों में आग बुझाना है।

पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले की सीमा पर स्थित कोटमन्या निवासी ये बच्चे जंगलों की आग को लेकर बेहद दुखी हैं। यह क्षेत्र चौड़ी पत्ती वाले वृक्षों का घनघोर जंगल है और आज तक जंगल की आग से बचा है। इस वर्ष पहली बार जंगल आग की चपेट मे आया। बीते दिनों पिथौरागढ़ जिले के अंतर्गत आने वाले ऐराड़ी के जंगल में आग लग गई । यह आग फैलते हुए बागेश्वर जिले के महरू ड़ी के जंगल तक पहुंच गई। इस जंगल की शुरुआत धरमघर कस्तूरा मृग विहार से होती है। यह देखते ही तीनों बच्चों ने ऐराड़ी के जंगल में लगी आग को हरी पत्तियों की झाड़ बना कर बुझाया। तीन किमी तक आग बुझा कर कस्तूरा मृग विहार तक आग पहुंचने से रोका। इस प्रयास में विजय के हाथों में छाले तक पड़ गए।

चिपको आंदोलन से प्रेरित विजय छोटी उम्र से पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग है।  आर्थिक रू प से कमजोर परिवार का विजय खुद बागवानी का कार्य करता है। उसने अपने घर पर ही लगभग 25 मुर्गियां पाली हैं। नींबू,माल्टा, संतरा व अन्य रसीले फलों की नर्सरी बनाई है। वह कहता है कि जंगलों की आग से पक्षियों के घौंसले जल रहे है और इन दिनों उनके घौंसलों में अंडे नष्ट हो रहे हैं। छोटे कीट, पतंगें जल कर मर रहे हैं। विजय कहता है कि बीते दिनों ऐराड़ी के जंगल में जब आग लगी तो बेरीनाग वन विभाग को फोन कर सूचना दी गई। सूचना के बाद भी कोई नही पहुंचा। तब जाकर वह अपने दो अन्य सहपाठियों के साथ आग बुझाने में जुटा।

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.