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आपदा में गोरी नदी की गरारी बहने से बच्चे नहीं पहुंच पा रहे स्कूल

आपदा के दौरान गोरी नदी पर लगाई गई गरारी बहने क्षेत्र में नौ किमी पैदल मार्ग ध्वस्त होने से चार गांवों के ग्रामीण अपने गांवों में ही कैद हैं। चार गांवों के पचास बच्चे विगत नौ दिनों से पढऩे के लिए विद्यालय नहीं पहुंच पा रहे हैं।

By Prashant MishraEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 04:26 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 04:26 PM (IST)
आपदा में गोरी नदी की गरारी बहने से बच्चे नहीं पहुंच पा रहे स्कूल
ग्राम प्रधान मुन्नी देवी ने बताया कि मवानी ग्राम पंचायत के चार गांवों की स्थिति बेहद दयनीय है।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : गत दिनों की आपदा एक बार फिर तहसील बंगापानी के गोरी नदी के पूर्वी हिस्से में फिर से गहरे जख्म दे गई है। आपदा के दौरान गोरी नदी पर लगाई गई गरारी बहने, क्षेत्र में नौ किमी पैदल मार्ग ध्वस्त होने से चार गांवों के ग्रामीण अपने गांवों में ही कैद हैं। चार गांवों के पचास बच्चे विगत नौ दिनों से पढऩे के लिए विद्यालय नहीं पहुंच पा रहे हैं। नौ दिन बीतने के बाद भी  क्षेत्र की सुध नहीं लिए जाने पर महिला ग्राम प्रधान ने जिलाधिकारी को पत्र भेज कर राहत कार्य चलाने की मांग की है।

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तहसील बंगापानी का घुरु डी, मनकोट, भ्यूला और घांघली चार गांव वर्ष 2013 से आपदा की मार झेल रहे हैं। 2013 में यह क्षेत्र छिन्न, भिन्न हो गया । ग्रामीण छह माह तक अलग -थलग  रहे । गांवों की सैकड़ों नाली कृषि भूमि बह गई थी। प्रतिवर्ष मानसून काल में इस क्षेत्र में आपदा का कहर टूटता रहा। वर्ष 2020 में आपदा ने एक बार फिर यहां पर अपना तांडव मचाया। भ्युला गांव में एक मां और बेटे की मकान बहने से मौत हो गई थी। क्षेत्र तीन माह तक अलग-थलग रहा। 

गत दिनों 17 और 18 अक्टूबर की भारी बारिश से एक बार फिर तबाही मची है। चारों गांवों को मुख्य मार्ग से जोडऩे वाले मार्ग ध्वस्त हो चुके हैं। इस मार्ग पर पडऩे वाले आधा दर्जन नदी, नालों के पुल बह चुके हैं। ग्रामीण अपने बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। सबसे अधिक समस्या पढऩे वाले बच्चों के लिए पैदा हो चुकी है। इस क्षेत्र के बच्चे पढऩे के लिए गोरी नदी के दूसरी तरफ बगीचाबगड़ आते हैं। गोरी नदी पर लगी गरारी बह चुकी है। गांवों से नौ किमी दूर स्थित दूसरे पुल से गोरी नदी पार करने के लिए पैदल मार्ग ध्वस्त है। जिस कारण पचास बच्चे विगत नौ दिनों से विद्यालय पढऩे नहीं आ पा रहे हैं। क्षेत्र  के समाज सेवी , मवानी के पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य भगत मेहरा का कहना है कि यह क्षेत्र कालापानी बन चुका है। अभी तक आपदा से हुए नुकसान का अभी तक आंकलन तक नहीं किया गया है। गोरी नदी पर तत्काल गरारी नहीं लगी तो क्षेत्र में भुखमरी की नौबत आ सकती है।

ग्राम प्रधान मुन्नी देवी ने बताया कि मवानी ग्राम पंचायत के चार गांवों की स्थिति बेहद दयनीय है। गांवों के बच्चे पढऩे के लिए विद्यालय नहीं जा पा रहे हैं। गरारी बहने और नौ किमी मार्ग क्षतिग्रस्त होने के बाद भी लोनिवि अस्कोट ने सुध नहीं ली है। जिलाधिकारी को पत्र भेज कर उनसे गरारी निर्माण और मार्ग खोलने के लिए लोनिवि को निर्देशित करने की मांग की गई है। जिलाधिकारी द्वारा इस मामले में कदम उठाया जा रहा है।


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