बंद होने की कगार पर हल्द्वानी का बाल आश्रय सेंटर
जिला प्रोबेशन विभाग के माध्यम से संचालित बाल आश्रय गृह एक साल में ही बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं।
By Edited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 08:43 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 05:29 PM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: जिला प्रोबेशन विभाग के माध्यम से संचालित बाल आश्रय गृह एक साल में ही बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं। आलम यह है कि आश्रय गृह का संचालन करने वाली संस्था को चालू वित्तीय वर्ष में अब तक बजट ही जारी नहीं किया गया। छह लाख की उधारी इस वर्ष हो चुकी है। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की 13 लाख रुपये की धनराशि भी बकाया है। ऐसे में आश्रय गृह का संचालन करने वाली संस्था इन्हें बंद करने की तैयारी में हैं। हल्द्वानी के लालडांठ में संचालित बाल आश्रय गृह में रहने वाले बच्चों के लिए संस्था को उधारी में राशन-पानी का जुगाड़ करना पड़ रहा है। इन गृहों का संचालन करने वाली धरोहर संस्था ने दो ओपन सेल्टर स्थापित किए थे। जिनमें समाज की मुख्यधारा से अलग हुए गरीब और बेसहारा 1 से 10 साल और 11 से 18 साल तक के बच्चों एवं किशोरों को शिक्षा के साथ-साथ मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। वर्तमान में इन दोनों सेंटरों में तकरीबन 70 बच्चे हैं। प्रत्येक ओपन सेल्टर के लिए केंद्र सरकार की ओर से 22.5 लाख प्रतिवर्ष अनुदान दिया जाता है, किन्तु अभी तक कुल ग्यारह लाख की धनराशि ही संस्था को मिल पाई है। पहला सेल्टर फरवरी व दूसरा मार्च 2017 में शुरू किया गया। शेष धनराशि के लिए जिला प्रोबेशन कार्यालय में दस्तावेज जमा कर दिए गए, लेकिन अभी तक बजट ही नहीं मिला। जबकि बीती 26 अप्रैल को जिला प्रोबेशन अधिकारी ने संस्था का निरीक्षण का अपनी रिपोर्ट राज्य बाल कल्याण कार्यालय को भेजी। उसके बाद लगातार संस्था के संचालक विभाग के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा। ============ कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन आश्रय गृह को बजट नहीं मिल पाने से यहां काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ गए हैं। आश्रय गृह में बच्चों को शहर के अलग-अलग स्थानों से लाने व वापस छोड़ने के लिए भी संस्था को उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है। इसके अलावा बच्चों को सुबह का नाश्ता व लंच करवाने के लिए भी संस्था के पास बजट नहीं है। संस्था कर्मचारियों की मानें तो कई महीनों से वेतन नहीं मिलने के कारण आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ============ लगातार वित्तीय स्थिति खराब होती जा रही है। ऐसे में संस्था को दोनों बाल आश्रय बंद करने पड़ेगें। इस बारे में विभागीय अधिकारियों को भी पत्र भेजा गया है। -प्रकाश पांडे, संचालक, बाल आश्रय गृह
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