बारिश्ा के मौसम में चिकनगुनिया, जेई और मलेरिया का बढ़ जाता है खतरा, ऐसे बचें NAINITAL NEWS
बारिश के मौसम में वायरल फीवर से लेकर डेंगू चिकनगुनिया जापानी इंसेफ्लाइटिस व मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियां बढ़ गई हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : बरसात का मौसम जहां गर्मी से राहत देता है, वहीं तमाम बीमारियां भी लेकर आता है। यही कारण है कि इस समय वायरल फीवर से लेकर डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफ्लाइटिस व मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियां बढ़ गई हैं। एसटीएच के फिजीशियन डॉ. यतींद्र कहते हैं कि ऐसे में लोग डेंगू को लेकर डर जाते हैं। जबकि इन बीमारियों से डरने के बजाय बचाव व इलाज पर फोकस किए जाने की जरूरत होती है। रविवार को डॉ. यतींद्र दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर में कुमाऊं भर से फोन करने वाले सुधी पाठकों को परामर्श दे रहे थे। वह मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं।
इनफ्लूएंजा वायरस का अधिक प्रभाव
वैसे तो इस मौसम में कई तरह के वायरल पनपते हैं, जिसमें से अधिकांश इनफ्लूएंजा वायरस ही होते हैं। सामान्य वायरल फीवर में दो-तीन दिन बुखार आने पर मरीज स्वस्थ हो जाता है। खास इलाज की जरूरत नहीं होती। इसमें सर्दी, जुकाम, बुखार और हल्के बदन दर्द के लक्षण रहते हैं। इनफ्लूएंजा वायरल फीवर में स्वाइन फ्लू भी है। वैसे यह बीमारी जनवरी-फरवरी में होती है, लेकिन इस समय भी मरीज मिल जाते हैं।
डेंगू, चिकगुनिया, इंसेफ्लाटिस के जानें लक्षण
- तीन दिन से ज्यादा दिन तक बुखार आना
- कमर व जोड़ों में दर्द बढऩा
- आंखों में तेज दर्द होना
- पेट दर्द व उल्टी की शिकायत
- इंसेफ्लाटिस में दौरा आना
बचाव के लिए अपनाएं ये तरीका
- बच्चों के हाथ बार-बार धुलाएं
- टॉवल एक-दूसरे का शेयर न करें
- मुंह पर रुमाल रखकर खांसें
- पानी खूब पीएं
- हरी सब्जी का अधिक सेवन करें
- भीड़ वाली जगह जाने से बचें
- पेन किलर का सेवन न करें
- मच्छरों से बचाव करें
स्कूलों में मच्छरजनित रोगों का खतरा अधिक
स्कूलों में जहां बच्चे बैठते हैं, कमरे सीलनयुक्त होते हैं। वहां पर मच्छर अधिक पैदा होते हैं। बच्चे नेकर-हाफ शर्ट व स्कर्ट में रहते हैं। डेंगू मच्छर दिन में ही काटता और वह भी पैरों पर। इसलिए बच्चों में डेंगू का खतरा अधिक देखने को मिलता है। डॉ. यतींद्र कहते हैं कि ऐसे में बच्चों को फुल ड्रेस पहनाएं और मच्छरों से बचाव करें
प्लेटलेट्स को लेकर घबराएं नहीं, बीपी पर रखें नजर
अक्सर मरीजों में प्लेटलेट्स कम होने पर डरा दिया जाता है। तुरंत प्लेटलेट्स चढ़ाने की सलाह दी जाती है। जबकि हकीकत यह है कि प्लेटलेट्स तब चढ़ाने की जरूरत होती है जब इनकी संख्या 20 हजार पहुंच जाए या फिर रक्तस्राव होने लगा हो। इस बीमारी में ब्लड प्रेशर पर फोकस रखें। बीपी कम होने पर दिक्कत बढ़ जाती है।