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हाईकोर्ट के आदेश के बाद पिथौरागढ़ में चार प्रमुख पदों के आरक्षण में हुआ बदलाव

पंचायती चुनाव के लिए शासन द्वारा प्रमुख पदों के लिए किए गए आरक्षण में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जिले के चार विकास खंडों में आरक्षण बदल चुका है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 07:26 PM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 07:26 PM (IST)
हाईकोर्ट के आदेश के बाद पिथौरागढ़ में चार प्रमुख पदों के आरक्षण में हुआ बदलाव

पिथौरागढ़, जेएनएन : पंचायती चुनाव के लिए शासन द्वारा प्रमुख पदों के लिए किए गए आरक्षण  में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जिले के चार विकास खंडों में आरक्षण बदल चुका है। आरक्षण बदले जाने से कई दावेदारों के अरमानों पर पानी फिर वगया है। 

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पिथौरागढ़ जिले के आठ विकास खंडों में चार विकास खंडों  धारचूला, बेरीनाग, गंगोलीहाट और  मूनाकोट में प्रमुख के पद पर आरक्षण बदल गया है। मूनाकोट में पहले प्रमुख का पद महिला के लिए आरक्षित था। बेरीनाग में प्रमुख का पद अनारक्षित था। इस मामले में मनोज भट्ट द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। वहीं धारचूला में प्रमुख का पद अनुसूचित जाति के लिए था और गंगोलीहाट में पद अनारक्षित था।  इसे लेकर भी याचिका दायर की गई थी। धारचूला के मामले पर दीपक सिंह ने याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इन चारों विकास खंडों में आरक्षण बदल दिया गया है।

हरीश चंद्र सेमवाल निदेशक पंचायती राज के सचिव  राज्य निर्वाचन आयोग को दिए गए पत्र में कहा गया है कि  उच्च न्यायालय द्वारा अंतिम आरक्षण के संबंध में दायर विभिन्न रिट याचिकाओं में किए गए आदेशों के अनुपालन निदेशक पंचायती राज प्रत्यावेदनों पर सुनवाई के उपरांत अंतिम आरक्षण  में परिवर्तन कर दिया गया है। इस परिवर्तन के आधार पर  पिथौरागढ़ जिले के मूनाकोट में प्रमुख पद को महिला के स्थान पर अनारक्षित करने , बेरीनाग में अनारक्षित पद को महिला के लिए, धारचूला में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पद को अनारक्षित और गंगोलीहाट में  अनारक्षित पद को अनुसूचित जाति के लिए कर दिया गया है। 

इस परिवर्तन से चारों विकास खंडों में प्रमुख पद के दर्जनों दावेदारों को जहां झटका लगा है वहीं अब नए दावेदार सामने आने लगे हैं। कहीं पर खुशी है तो कहीं पर गम छा गया है। विशेषकर मूनाकोट में पूर्व से ही पद के अनारक्षित होने की संभावना जताई जा रही थी परंतु पद के महिला के लिए आरक्षित होने से कई लोग मायूस थे। इनमें से ही एक ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।


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