उत्तराखंड में बाल लिंगानुपात में चम्पावत 13वें से तीसरे पर पहुंचा, पहले पर बागेश्वर
प्रदेश में घटते लिंगानुपात के कारण आलोचना झेल रहे चंपावत जिले ने सुधार करते हुए लंबी छलांग लगाई है। जनपद ने बीते वर्ष 13वें स्थान पर रहने के साथ इस वर्ष लिंगानुपात सुधार में तीसरा स्थान प्राप्त किया है।
चम्पावत, जेएनएन : प्रदेश में घटते लिंगानुपात के कारण आलोचना झेल रहे चंपावत जिले ने सुधार करते हुए लंबी छलांग लगाई है। जनपद ने बीते वर्ष 13वें स्थान पर रहने के साथ इस वर्ष लिंगानुपात सुधार में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। यह सब हो सका डीएम एसएन पांडे व डीपीओ पीएस बृजवाल के अनोखे नवाचारी कार्यक्रम के तहत। अब जनपद में एक हजार बालक पर 971 बालिका का अनुपात पहुंच गया है। वहीं बागेश्वर पहले स्थान पर है।
जनपद में वर्ष 2018-19 में बाल लिंगानुपात के मामले में 13 वें स्थान पर था। तब 1000 बालकों पर बालिकाओं का रेसियो 895 था। इसे बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन से लेकर बाल विकास विभाग द्वारा लगातार प्रयास किए गए। डीएम एसएन पांडेय के नेतृत्व में बाल विकास विभाग ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को काफी अच्छी तरीके से संचालित किया। बेटी जन्मोत्सव, कन्या शक्ति पूजन, घर की पहचान बेटी के नाम, दो बेटियों के अभिभावकों को सम्मान, महिला गोद भराई, सगाई गोद भराई, बेटी अन्नप्राशन, लक्ष्मी स्वागतम, पूजन कार्यक्रम एवं बेटी जन्म दिवस पर बधाई संदेश जैसे कार्यक्रमों ने लिंगानुपात कम करने में काफी अहम योगदान दिया।
इन कार्यक्रमों के साथ अभिभावकों को भी समय-समय पर जागरूक किया गया। समाज को बेटियों की अहमियत समझाई गई। जिसके हमें सकारात्मक परिणाम देखने को मिला। इसका नतीजा रहा कि वर्ष 2019-29 में बाल लिंगानुपात का अंतर बढ़ गया। जो अब बढ़कर 1000 के अनुपात में 971 पहुंच गया है। जिले के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस मामले में चम्पावत से आगे अब बागेश्वर और अल्मोड़ा जिले हैं।
पहले नंबर पर बागेश्वर तो अंतिम में चमोली
भारत सरकार द्वारा मिली रिपोर्ट के आधार पर डीपीओ बृजवाल ने बताया कि बाल लिंगानुपात में बागेश्वर जिला 1000 के अनुपात में 1012 और अल्मोड़ा जिला 1000 के अनुपात में 980 बालिकाओं के साथ पहले और दूसरे नंबर पर हैं। वहीं जनपद में 13 वें स्थान पर चमोली व 12 वें पिथौरागढ़ जनपद हैं। जहां लिंगानुपात एक हजार पर 864 व 887 है।
डीएम ने बाल विकास कर्मचारियों के कार्यों की सराहना
बाल लिंगानुपात में आए सुधार का पूरा श्रेय डीएम पांडेय ने बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को दिया। इन सबके अलावा डीएम पांडे ने बाल विकास विभाग में आउटसोर्स एंजेसी द्वारा तैनात कर्मचारियों के कार्यों की बहुत सराहना की। उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों ने कई सारे नए नवाचारी कार्यक्रम तैयार किए। जिसकी वजह से लोग जागरूक हुए।
क्या बोले अधिकारी
लिंगानुपात में सुधार लाने के लिए डीएम के निर्देशन में नवाचारी कार्यक्रम के तहत विगत वर्ष आंगनबाड़ी केंद्र स्तर पर कन्या शक्ति पूजन प्रसाद कार्यक्रम एवं लक्ष्मी स्वागत पूजन कार्यक्रम बड़े स्तर पर चलाए गए। जिसके परिणाम काफी सकारात्मक रहे। जिले को पहले पायदान पर लाने के लिए भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रम कराते रहेंगे। लोगों को बेटी व बेटों में अंतर को खत्म करना होगा। तभी जिला पहले पायदान पर पहुंचेगा। - पीएस बृजवाल, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, चम्पावत
जन्म के समय में बेटियों में फर्क न समझें
चंपावत के डीएम एसएन पांडेय ने बताया कि लोग जन्म के समय में बेटियों में फर्क न समझे। भू्रण हत्या में किसी की मदद न करें। बेटियों की शिक्षा व स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें। महिलाएं सफल होंगी तो परिवार सफल होगा। दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्रों में हमें ज्यादा काम करने की जरूरत हैं। यह सभी का सामूहिक प्रयास है। जो जनपद बाल लिंगानुपात में 13 से तीसरे स्थान पर पहुंचा है। हमें इसमें और प्रयास करने की जरूरत है।