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बचपन के शौक को बनाया हुनर, बेकार वस्तुओं को काम का बना रहीं चम्पावत की हिमानी

वह घर की बेकार पड़ी वस्तुओं को नया लुक देकर न केवल उन्हें आकर्षक बनाती हैं बल्कि कबाड़ से नई वस्तुओं का भी निर्माण करती हैं। हिमानी के इस हुनर को उनके माता पिता ने पहचाना और उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढऩे के पर्याप्त अवसर प्रदान किए।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 06:07 AM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 06:07 AM (IST)
बचपन के शौक को बनाया हुनर, बेकार वस्तुओं को काम का बना रहीं चम्पावत की हिमानी
बचपन में हिमानी टूटी चप्पलों एवं फटे जूतों में कलाकारी कर उन्हें नया स्वरूप देती थी।

विनोद चतुर्वेदी, चम्पावत : आपके बचपन का शौक आपको उन बुलंदियों तक भी पहुंचा सकता है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। अपने शौक को हुनर में तब्दील करना आसान काम नहीं है, लेकिन यह कर दिखाया है चम्पावत निवासी हिमानी तिवारी ने। वह घर की बेकार पड़ी वस्तुओं को नया लुक देकर न केवल उन्हें आकर्षक बनाती हैं बल्कि कबाड़ से नई वस्तुओं का भी निर्माण करती हैं। हिमानी के इस हुनर को उनके माता पिता ने पहचाना और उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढऩे के पर्याप्त अवसर प्रदान किए। अब हिमानी हैदराबाद के एक विद्यालय में फुट वियर डिजाइनिंग का कोर्स करेंगी। विद्यालय में उन्हें दाखिला भी मिल गया है।     

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चम्पावत बाजार निवासी हिमानी तिवारी की माता कविता तिवारी पढ़ी लिखी गृहणी हैं और पिता प्रकाश चंद्र तिवारी नगर पालिका चम्पावत के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। हिमानी की प्रतिभा को सबसे पहले उनकी माता ने पहचाना। बचपन में हिमानी टूटी चप्पलों एवं फटे जूतों में कलाकारी कर उन्हें नया स्वरूप देती थी। इसके अलावा गत्तों की पेटी से हेयङ्क्षरग का सामान, कान के झुमके, बाली इत्यादि तैयार करती थीं। स्कूल की पढ़ाई से वक्त निकालकर इस काम में जुट जाना उनका शगल बन गया था। माता कविता तिवारी इस कार्य में उन्हें लगातार प्रोत्साहन देती रही। जिसका परिणाम यह हुआ कि हिमानी ने कबाड़ से नए-नए आइटम तैयार कर पूरे घर का डेकोरेशन कर दिया। गुडग़ांव के डीपीएस स्कूल में पढ़ाई के दौरान उनका यह शौक और निखरा। फलस्वरूप उन्हें कला कीर्ति पुरस्कार से नवाजा गया। हिमानी बताती हैं कि इस स्कूल में 25 साल तक यह पुरस्कार किसी भी छात्र या छात्रा को नहीं मिला था।

चम्पावत में हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान हिमानी को प्रवासी भारतीय राज भट्ट ने खेतीखान स्थिति विवेकानंद विद्यामंदिर की छात्राओं को यह हुनर सिखाने का ऑफर दिया था, लेकिन हिमानी पढ़ाई की व्यस्तता के चलते यह काम नहीं कर पाई। आज भी हिमानी घर की बेकार पड़ी वस्तुओं से ज्वेलरी का सामान तैयार कर रही हैं। उन्होंने बताया कि अगले कुछ दिनों में वे हैदराबाद में फुटवियर डिजाइनिंग पाठ्यक्रम में दाखिला ले लेंगी। भविष्य में क्राफ्ट व डिजाइनिंग को ही करियर का आधार बनाएंगी। 

घर सजाने के लिए मोटी रकम खर्च करना जरूरी नहीं हिमानी का कहा कहना है कि घर को सजाने के लिए हर बार मोटी रकम खर्च करना आवश्यक नहीं है। आप चाहें तो अपने घर के पुराने और बेकार पड़े सामान से भी घर को नया लुक दे सकते हैं। बढ़ती महंगाई में हर बार कुछ नया खरीद पाना संभव नहीं है। पेटी, रोल, जूट की रस्सी, बैग, प्लास्टिक की बोतल आदि से डेकोरेशन की आकर्षक सामग्री तैयार की जा सकती है। कागजों से कई तहर के लिफाफे, नोट बुक्स की तैयार की जा सकती हैं।

माता की प्रेरणा है सफलता का कारण

हिमानी बताती हैं कि उनके बचपन के शौक को हुनर में तब्दील करने के पीछे उनकी माता कविता तिवारी की प्रेरणा रही है। उनकी माता ने न केवल उन्हें इस कार्य के लिए प्रोत्साहित किया बल्कि उन्हें गुरु की भांति बेकार पड़े सामान से आकर्षक वस्तुुओं का निर्माण करना भी सिखाया।


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