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बिल्डरों और कॉलोनाइजरों के करोड़ों के बिजली घोटाला करने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा

उच्च न्यायालय ने बिल्डरों और कॉलोनाइजरों को नियमों के खिलाफ मुफ्त में नए कनेक्शन देने में हजारों करोड़ रुपए के नुकसान को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 08:42 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 08:42 AM (IST)
बिल्डरों और कॉलोनाइजरों के करोड़ों के बिजली घोटाला करने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा
बिल्डरों और कॉलोनाइजरों के करोड़ों के बिजली घोटाला करने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा

नैनीताल, जेएनएन : उच्च न्यायालय ने बिल्डरों और कॉलोनाइजरों को नियमों के खिलाफ मुफ्त में नए कनेक्शन देने में हजारों करोड़ रुपए के नुकसान को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने हुए भारत सरकार, राज्य सरकार व ऊर्जा निगम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। समाजसेवी रविशंकर जोशी ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि यूपीसीएल एक सार्वजनिक उपक्रम है।

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2013 के रेगुलेशन के अनुसार किसी भी बिल्डर कॉलोनाइजर,मॉल, मल्टीप्लेक्स आदि को नए कनेक्शन देने के समय रेगुलेशन सात के अंतर्गत जमा योजना के तहत वह पैसे जमा कराए जाते हैं। जबकि सुपरविजन चार्ज योजना के तहत बिल्डर कॉलोनाइजर अपने द्वारा खरीदे गए ट्रांसफार्मर लाइन इत्यादि रिक्रूटमेंट अपने पैसे से खरीद के लगाता है और निगम के कर्मचारी उसका सुपर विजन करते हैं जिस पर 15% सुपर विजन चार्ज लेवी किया जाता है।

आरोप लगाया कि निगम के अफसरों ने घोटाला करते हुए मुफ्त कनेक्शन बांटे गए। याची द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम में तीन मैदानी जिलों में बनी कॉलोनियों की जानकारी मांगी गई, जिससे पता चला है कॉलोनाइजर और बिल्डरों दोनों ही योजनाओं जमा योजना, सुपरविजन चार्ज योजना के तहत ना के बराबर पैसा जमा किया और सैकड़ों करोड़ का घोटाला किया।

कॉलोनी में विद्युतीकरण का खर्चा लगभग 60-70 हजार रुपए से लेकर 90 लाख रुपए तक आता है, जोकि कॉलोनी के साइज पर निर्भर करता है। याची ने पूरे मामले को केंद्र सरकार से स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने व वसूली की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में पक्षकारों से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।


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