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प्रदेश के प्रस्तावित सबसे बड़े चाय बागान में ब्रेक के आसार

विकासखंड ओखलकांडा के डूंगरी गांव में मनरेगा के तहत प्रस्तावित करीब पांच सौ हेक्टेयर का चाय बागान के प्रोजेक्ट पर ब्रेक लगने के आसार बन गए हैं।

By Edited By: Published: Mon, 19 Mar 2018 07:28 PM (IST)Updated: Fri, 23 Mar 2018 10:33 AM (IST)
प्रदेश के प्रस्तावित सबसे बड़े चाय बागान में ब्रेक के आसार
संवाद सहयोगी, भीमताल : विकासखंड ओखलकांडा के डूंगरी गांव में मनरेगा के तहत प्रस्तावित करीब पांच सौ हेक्टेयर का चाय बागान के प्रोजेक्ट पर ब्रेक लगने के आसार बन गए हैं। चाय बोर्ड के वैज्ञानिकों ने क्षेत्र में पानी की कमी का हवाला देते हुए अपने उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी है। सोमवार को चाय बागान मैनेजर घोड़ाखाल नवीन पांडेय, मृदा वैज्ञानिक जीएस मेर ने डूंगरी का निरीक्षण किया और क्षेत्र में पानी की कमी को बताया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने बताया कि क्षेत्र में सूखे की स्थिति है। ऐसे में प्रारंभिक समय में जब पौधों का प्लांटेशन कराया जाता है, तब अन्य फसलों की भांति पौध को पानी की अधिक आवश्यकता होती है। निरीक्षण 100 हेक्टेयर में किया गया। वैज्ञानिकों ने क्षेत्र के भ्रमण का हवाला देते हुए बताया कि क्षेत्र में वर्तमान में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। पूरा क्षेत्र सूखे से प्रभावित है। ऐसे में बोर्ड के पास पानी की व्यवस्था करने का कोई प्राविधान भी नहीं है। इधर, अधिकारियों ने अपने भ्रमण की रिपोर्ट अपने उच्च अधिकारियों को भेज दी है। :::::::वर्जन- चाय की प्रथम फ्लेश की फसल जो कि सर्वोत्तम फसल होती है। मार्च में बारिश नहीं होने के कारण 40 फीसद प्रभावित हो गई है। चाय की कुल फसल का 40 फीसद मार्च में 20 फीसद मई-जून में तथा 60 फीसद सितंबर-अक्टूबर में पैदा होती है। -नवीन पांडेय, प्रबंधक चाय बागान घोड़ाखाल

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