बॉलीवुड की संजीता अभिनेत्री मीता वशिष्ठ ने कहा, फिल्में अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम
रूपहला पर्दा मनोरंजन का साधन ही नहीं बल्कि समाज व व्यक्ति को संदेश देने का सशक्त माध्यम है। इसकी महत्ता को समझते हुए निर्माताओं को फिल्में बनानी चाहिए।
नैनीताल, जेएनएन : सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का साधन ही नहीं, बल्कि समाज व व्यक्ति को संदेश देने का सशक्त माध्यम भी है। इसकी महत्ता को समझते हुए निर्माताओं को फिल्में बनानी चाहिए। यह बात अभिनेत्री मीता वशिष्ठ ने बातचीत के दौरान कहीं। वह फिल्म पूनम की शूटिंग को लेकर इन दिनों नैनीताल पहुंची हुई हैं।
मीता ने बताया कि वे करीब 35 सालों से फिल्मों में अभिनय कर रही हैं। इस दौरान कई उतार चढ़ाव देखे हैं। वर्तमान में बन रही फिल्मों की कहानियों से खास खुश नहीं हैं । उन्होंने कहा कि दिल काे स्पर्श करने वाला संगीत भी कम ही नजर आता है। फिल्म पूनम में काम करने की वजह दमदार कहानी है, जो वृद्धावस्था में अकेलेपन के दर्द को उजागर करती है। बेशक यह फिल्म छोटी है, लेकिन ऐसे युवाओं को संदेश देने वाली है, जो अपने माता-पिता को अकेला छोड़ देते हैं।
नैनीताल में फिल्म का काफी हिस्सा शूट हुआ
हिंदी फिल्म पूनम के कई शॉट सरोवर नगरी व समीपवर्ती क्षेत्रों में फिल्माए गए। शूटिंग में मुख्य भूमिका में रजित कपूर व मीता वशिष्ठ के साथ सरिताताल, लवर्स प्वाइंट व मल्लीताल कोतवाली में कई दृश्य फिल्माए गए। प्रोड्यूसर शिल्पी ने बताया कि फिल्म वृद्धावस्था व प्रेम प्रसंग पर आधारित है। इस तरह की कहानी पर पहली बार फिल्म बनाई जा रही है। संजय सनवाल के निर्देशन में फिल्म बनाई जा रही है। नैनीताल की प्राकृतिक सौंदर्य कहानी में फिट बैठती है। फिल्म की शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी है।
द्रोहकाल के लिए मिला था स्टार स्क्रीन अवार्ड
मीता तीन दर्जन से अधिक बॉलीवुड फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। जिनमें चांदनी, दृष्टि, तर्पण, द्रोहकाल, दिल से, गुलाम, ताल, माया, अंतहीन व रहस्य जैसी प्रमुख बॉलीवुड फिल्में हैं। निर्माता निर्देशक गोविंद निहलानी की फिल्म द्रोहकाल में बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए स्टार स्क्रीन एवार्ड से नवाजी जा चुकी हैं। हिंदी फिल्मों के अलावा मराठी, तमिल व बंगाली फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। तीन दर्जन धारावाहिकों में काम कर चुकी हैं।