ब्लड बैंकों में रक्त की कमी, आरएसएस आया आगे
कोरोना की दहशत के बीच लोग अब रक्तदान करने से भी घबराने लगे हैं। इससे ब्लड बैंक में रक्त की काफी कमी होने लगी है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: कोरोना की दहशत के बीच लोग अब रक्तदान करने से भी घबराने लगे हैं। इसकी वजह से ब्लड बैंकों में रक्त की भारी कमी होने लगी है। इसका सबसे अधिक प्रभाव थैलीसीमिया रोगियों पर पड़ रहा है। ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मदद को आगे आया है।
बेस अस्पताल में प्रतिमाह करीब सौ यूनिट ब्लड थैलीसीमिया के मरीजों के लिए चाहिए। इन मरीजों को बिना डोनर के निश्शुल्क ब्लड उपलब्ध कराने का प्रावधान है। बुधवार को थैलीसिमिया दिवस पर भी दो थैलीसीमिया ग्रस्त मरीज ब्लड के लिए पहुंचे, लेकिन ब्लड उपलब्ध नहीं था। ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. ऊषा भट्ट ने कई जगह फोन किया, मगर कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्यों ने 50 लोगों की लिस्ट ब्लड बैंक में उपलब्ध कराई और पांच यूनिट तत्काल ब्लड भी डोनेट किया। इससे थैलीसीमिया के मरीजों को ब्लड मिल गया और नियमित 5 लोगों द्वारा ब्लड डोनेट किए जाने का वादा किया गया है।
इसके बाद 40 और लोगों द्वारा ब्लड डोनेट किया जाएगा। डॉ. ऊषा भट्ट ने अपील की है कि स्वस्थ व्यक्ति आकर ब्लड डोनेट कर सकता है, जिससे कि थैलीसीमिया समेत तमाम जरूरतमंद मरीजों को समय पर रक्त उपलब्ध कराए जा सके। रक्तदान करने वालों में सह जिला कार्यवाह राहुल जोशी, नितिन बोरा, राजीव जैन, गौरव पंत और नवीन भट्ट शामिल थे। स्वर्गीय बाल किशन देवकी देवी चैरिटेबल ट्रस्ट ब्लड बैंक प्रशासक प्रकाश मेहता का कहना है कि अधिक संख्या में न आकर भी लोग रक्तदान कर सहयोग कर सकते हैं।
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यह है ब्लड की स्थिति
एसटीएच में 20 यूनिट
बेस अस्पताल में 40 यूनिट
स्वर्गीय बालकिशन जोशी देवकी देवी चैरिटेबल ट्रस्ट ब्लड बैंक में 40 यूनिट
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इस ग्रुप की सबसे अधिक कमी
बेस अस्पताल में एबी और ए निगेटिव ग्रुप के ब्लड की कमी है। एसटीएच में अधिकांश ग्रुप के रक्त की कमी है। वहीं बालकिशन जोशी व देवकी देवी ट्रस्ट ब्लड बैंक में एबी पॉजिटिव ब्लड कम है।
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इस समय जरूरत भी कम हुई
जहां पहले एक ब्लड बैंक से प्रतिदिन 10 से 20 यूनिट ब्लड की आपूíत हो जाती थी, वहीं इस समय दो-तीन यूनिट ब्लड की ही आपूíत हो रही है। हालांकि इस समय दुर्घटनाएं नहीं हो रही हैं। तमाम तरह के ऑपरेशन टाल दिए गए हैं।
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थैलीसीमिया के हैं 70 मरीज
डॉ. ऊषा भट्ट का कहना है कि थैलीसीमिया के 70 मरीज हैं। प्रतिमाह इनके लिए 100 से अधिक यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है। सभी मरीज ब्लड लेने बेस अस्पताल ही पहुंचते हैं।