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बाजपुर नगर निकाय चुनाव में वार्ड दर वार्ड हारती गई भाजपा LOCAL BODY POLL BAJPUR

कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा कुल मतदान का 50.02 प्रतिशत मत हासिल कर भाजपा को वोट प्रतिशत में भी 17.57 प्रतिशत से शिकस्त दी है जो अब तक के चुनावों में सबसे बड़ी हार मानी जा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 07:31 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 07:31 PM (IST)
बाजपुर नगर निकाय चुनाव में वार्ड दर वार्ड हारती गई भाजपा LOCAL BODY POLL BAJPUR

बाजपुर, जेएनएन : नगर निकाय चुनाव में भाजपा की स्थिति को लेकर गहन मंथन शुरू हो गया है। इसमें कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा कुल मतदान का 50.02 प्रतिशत मत हासिल कर भाजपा को वोट प्रतिशत में भी 17.57 प्रतिशत से शिकस्त दी है जो अब तक के चुनावों में सबसे बड़ी हार मानी जा रही है। 

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यदि वार्ड दर वार्ड स्थिति का आंकलन किया जाए तो वार्ड नंबर-10 में ही भाजपा प्रत्याशी ने 201 मतों की बढ़त ली, जबकि अन्य 12 वार्डों में कांग्रेस प्रत्याशी आगे रहे हैं जिससे स्पष्ट है कि भाजपा का मत प्रतिशत लगभग हर वार्ड में बड़ी तेजी से घटा है। कांग्रेस ने वार्ड नंबर-एक में 93, दो में 404, तीन में 401, चार में 162, पांच में 189, छह में 498, सात में 309, आठ में 284, नौ में 394, 11 में 183, 12 में 181 व वार्ड नंबर-13 में 99 मतों की बढ़त हासिल की है। यदि वार्ड वार मिले वोटों की स्थिति को देखा जाए तो कांग्रेस व भाजपा के बीच में वार्ड नंबर-एक व 13 में मुकाबला कांटे का रहा है, जबकि दो, तीन, छह में कांग्रेस ने मत प्रतिशत में भाजपा को काफी पीछे छोड़ दिया है। वार्ड-एक से कांग्रेस को 701 व भाजपा को 608, दो से 679 व 275, तीन से 797 व 396, चार से 654 व 492, पांच से 602 व 413, छह से 902 व 410, सात से 672 व 363, आठ से 696 व 412, नौ से 799 व 405, दस से 398 व 599, 11 से 879 व 696, 12 से 584 व 403 तथा वार्ड नंबर-13 से 662 व 563 मत प्राप्त हुए हैं। यदि भाजपा के जीते वार्ड सभासदों का प्रतिशत भी देखा जाए तो वार्ड नंबर-आठ से भाजपा की सभासद प्रत्याशी प्रेमवती को 710 मत हासिल हुए, जबकि भाजपा के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी राजकुमार को 412 मत ही मिल पाए हैं, जबकि वार्ड नंबर-9 व 10 में भाजपा के सभासद प्रत्याशियों को कम मत मिले हैं। वार्ड नंबर-नौ में अध्यक्ष को 405 व सभासद को 394 तथा वार्ड दस में अध्यक्ष को 599 व सभासद को 430 वोट ही मिल पाए हैं। ऐसे में भाजपा के अध्यक्ष व सभासदों के बीच तालमेल न होने का स्पष्ट संकेत मत प्रतिशत से दिखाई दे रहे हैं। 

राजनीतिक दलों के मुकाबले निर्दलीयों का बजूद रहा ऊंचा 

राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुजन समाज पार्टी व सपा द्वारा भी अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा गया था, लेकिन दोनों ही दलों के प्रत्याशियों की दुर्दशा देखने को मिली है। राष्ट्रीय दल होने का दंभ भरने वाली बसपा के प्रत्याशी को मात्र 66 वोट व सपा सर्मिथत प्रत्याशी अरविंद यादव को 244 मत ही मिल पाए हैं, जबकि आजाद उम्मीदवार इनसे कहीं ज्‍यादा मत हासिल करने में सफल रहे हैं। ऐसे में सपा-बसपा का उत्तराखंड में भविष्य भी अब असुरक्षित दिखाई पड़ रहा है। 

मायूसी के बीच बोले भाजपाई, कहीं न कहीं कोई गलती तो हुई  

चुनाव हारने के बाद अधिकांश भाजपाई घरों में ही रहे, बावजूद इसके परिणाम को लेकर चेहरों पर मायूसी देखी गई जिसके लिए पदाधिकारियों व हाईकमान को भी दोषी ठहराया जा रहा है। कार्यकर्ताओं ने दबी जुवान से कहा कि यदि पैनल के हिसाब से प्रत्याशी का सही चयन कर दिया होता तो आज भाजपा को यह दिन नहीं देखना पड़ता। यह भी कहा गया कि चयन के साथ ही रणनीतिकारों की गलतियां भी हार का कारण बनी हैं जिसको लेकर सभी भाजपाइयों को गहन ङ्क्षचतन करना होगा। भाजपा नेता राजेश कुमार ने कहा कि लोकतंत्र में हार-जीत प्रक्रिया का हिस्सा है और इस चुनाव के बाद पार्टी और मजबूती से कार्य करेगी और निश्चित रूप से पंचायत चुनाव में बड़ी सफलता अॢजत की जाएगी।


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