भवाली सीओ प्रमोद शाह को फेसबुक पर राजनीतिक टिप्पणी महंगी पड़ी, ट्रांसफर कर चमोली भेजे गए
CO Pramod Shah पिछले दिनों प्रमोद शाह ने कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के समर्थन में फेसबुक पर फोटो के साथ भीड़ दिखाते हुए बयानबाजी वाली पोस्ट की थी। जिसमें सीओ कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का सर्मथन करते दिख रहे थे।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : इंटरनेट मीडिया में राजनीतिक बयानबाजी करना भवाली सीओ प्रमोद शाह (CO Pramod Shah) को महंगा पड़ गया। डीजीपी के हस्तक्षेप पर उन्हें न केवल चमोली जिले के गोपेश्वर भेजा गया, बल्कि स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।
चर्चा है कि पिछले दिनों प्रमोद शाह ने कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के समर्थन में फेसबुक पर फोटो के साथ भीड़ दिखाते हुए बयानबाजी वाली पोस्ट की थी। जिसमें सीओ कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का सर्मथन करते दिख रहे थे। इस पोस्ट पर लोगों ने कई तरह की टिप्पणी भी की थी।
कुछ भाजपाइयों को यह पोस्ट अखर गई। इसलिए यह मामला पुलिस महानिरीक्षण अशोक कुमार तक पहुंच गया। हालांकि यह पोस्ट उनकी फेसबुक वाल पर अब नजर नहीं आ रही है। यानी उक्त पोष्ट काे हटा दिया गया है।
इस पोस्ट को अनुशासनहीनता मानते हुए सीओ प्रमोद शाह को भवाली से हटाकर एक सप्ताह पहले चमोली जिले के गोपेश्वर भेज दिया है। साथ ही स्पष्टीकरण मांगा गया है।
एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया कि सीओ को मुख्यालय स्तर से ही चमोली जिले में भेजा गया है। एक सप्ताह पहले वह जिले से जा चुके हैं।
फेसबुक पेज पर ढाई हजार फालोवर
सीओ प्रमोद शाह पढऩे लिखने में अधिक रुचि रखते हैं। वह अच्छे अधिकारी के साथ अच्छे वक्ता भी हैं। उनके फेसबुक पेज प्रमोद शाह में 2.6 हजार फालोवर हैं।
यह है पुलिस अनुशासहीनता
सेवाकाल के दौरान राजनीतिक बयानबाजी पुलिस नियमावली के अनुसार अनुशासनहीनता के दायरे में है। ऐसे अनुशासनहीन कर्मियों पर विभाग सख्त कार्रवाई कर सकता है।
सीएम के जन्मदिन पर किया पोस्ट
सीओ प्रमोद शाह ने 16 सितंबर को सीएम पुष्कर सिंह धामी के 48वें जन्मदिन पर भी फेसबुक पर पोस्ट किया था। जिसमें उन्होंने 22 साल के उत्तराखंड का नेतृत्व 47 वर्ष के पूर्ण के युवा मुख्यमंत्री के हाथों में देने की बात कही थी।
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री पर भी की टिप्पणी
छह सितंबर को सीओ ने ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री पर भी टिप्पणी की थी। प्रधानमंत्री एलिजविथ ट्रेश भारतीय मूल के ऋषि सुनक को भारी अंतर से हराकर प्रधानमंत्री बनी थी।