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नैनीताल जिला पंचायत की माली हालत खराब, वादों को पूरा करने के लिए 'फैलाने' होंगे हाथ

जिले में निर्विरोध निर्वाचित जिपं अध्यक्ष बेला तोलिया को नए सदस्यों के साथ तालमेल कर सदन चलाने के साथ ही उनकी विकास से संबंधित अपेक्षाओं को पूरा करने की बड़ी चुनौती सामने है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 11:53 AM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 11:53 AM (IST)
नैनीताल जिला पंचायत की माली हालत खराब, वादों को पूरा करने के लिए 'फैलाने' होंगे हाथ
नैनीताल जिला पंचायत की माली हालत खराब, वादों को पूरा करने के लिए 'फैलाने' होंगे हाथ

नैनीताल, जेएनएन : जिले में निर्विरोध निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया को नए सदस्यों के साथ तालमेल कर सदन चलाने के साथ ही उनकी विकास से संबंधित अपेक्षाओं को पूरा करने की बड़ी चुनौती सामने है। जिला पंचायत की कमजोर माली हालत, सीमित आर्थिक स्रोत के बीच जीते जिला पंचायत सदस्यों को चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करने के लिए विधायकों-सांसद के साथ ही सरकारी विभागों के अफसरों के आगे 'हाथ फैलाने' होंगे, तभी वह जनअपेक्षाओं पर खरे उतर सकेंगे।

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इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत सदस्यों में अधिकांश पहली बार पंचायत के सदन तक पहुंचे हैं। अधिकांश सदस्य युवा हैं। जिपं उपाध्यक्ष आनंद दरम्वाल ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं, लिहाजा उन्हें सदन को शांतिपूर्ण व व्यवस्थित ढंग से चलाने में कौशल दिखाना होगा। पिछली बार के सदन मेें भाजपा के सदस्यों ने बोर्ड बैठकों में मुखर होकर सवाल उठाए थे।

वित्त आयोग देता है सालाना 11.36 करोड़ का बजट

जिला पंचायत का वित्तीय वर्ष 2019-20 का सालाना अनुमानित बजट 23 करोड़ 36 लाख 21 हजार 350 रुपये था। जिले में कुल 27 जिपं सदस्य हैं। वित्त आयोग से जिला पंचायत को सालाना 11 करोड़ 36 लाख का बजट मिलता है, जो चार किश्तों में रिलीज होता है। एक किश्त दो करोड़ 76 लाख 84 हजार की होती है। राज्य वित्त की प्रत्येक किश्त में करीब एक करोड़ रुपये कर्मचारियों के वेतन, पेंशन व कार्यालय खर्च के लिए होती है। वहीं लाइसेंस शुल्क से सालाना करीब एक करोड़ व हॉट बाजार से करीब 30 लाख सालाना आय भी होती है। इसके अलावा कार्यदायी संस्था के तौर पर जिला पंचायत को सांसद, विधायक निधि तथा अन्य महकमों से बजट मिलता है। वित्त आयोग से पेंशन-वेतन से बची रकम को विकास कार्यों में खर्च करने के लिए अध्यक्ष प्रस्ताव मांगते हैं। प्रत्येक सदस्य को बराबर बजट देने की परंपरा रही है। अब तक सदस्य वित्त आयोग की रकम खर्च करने के लिए खड़ंजा, सीसी मार्ग, गूल, सुरक्षा दीवार, खेल मैदान, सुंदरीकरण कार्यो के प्रस्ताव देते रहे हैं। अब देखना यह है कि इस बार सदस्य रास्ते-सुरक्षा दीवार की परिपाटी का मोह छोड़ पाते हैं या नहीं।


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