48 साल से किसान और मजदूर की 'जंग' लड़ रहे जंगी
बरेली रोड मोतीनगर निवासी 70 वर्षीय बहादुर सिंह जंगी पिछले 48 साल से मजलूमों और गरीबों के हक की लड़ाई लडरहे हैं।
By Edited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 11:11 AM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 11:39 AM (IST)
गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी : बरेली रोड मोतीनगर निवासी 70 वर्षीय बहादुर सिंह जंगी पिछले 48 साल से गरीब, मजदूर व किसानों की जंग लड़ रहे हैं। संघर्ष की इस कठिन राह के दौरान खुद पर 38 मुकदमे झेले, लेकिन डगर से हिले तक नहीं। उम्र के इस पड़ाव में पहुंचने के बावजूद समाज के कमजोर तबके की लड़ाई उन्होंने अब भी जारी रखी है। गर्दन में लंबे समय से तकलीफ होने के बाद भी जंगी आंदोलनों में लाठी लेकर युवाओं से कदम मिलाते हुए नजर आते हैं। लोग उन्हें जन आंदोलन की अगुवाई करने वाले एक योद्धा के तौर पर जानते हैं। 1971 में फौज की नौकरी छोड़कर जंगी ने आंदोलन की राह पकड़ी थी। दरअसल 1967 के दौरान लालकुआं में भूमिहीन और मजदूरों का आंदोलन चल रहा था। जंगी ने देखा कि अपने हक की आवाज उठा रहे लोगों को नगला में सरकार के आदेश पर बुरी तरह पीटा गया। इस घटना ने उनके अंदर मौजूद आंदोलन की ज्वाला को हवा दी। ठीक पांच साल बाद नौकरी छोड़ वह आंदोलन में कूद पड़े। उसके बाद से जनसंघर्ष का सिलसिला आज तक जारी है। हल्द्वानी और तराई क्षेत्र में जमीदारों के कब्जे से जमीन मुक्त कराने के बाद भूमिहीन किसान, मजदूर व पहाड़ के लोगों को बसाने में उनकी अहम भूमिका रही। लाठी-डंडो से पिटने के बाद 12 बार जेल गए अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष और भाकपा माले के कार्यकर्ता बहादुर सिंह जंगी आंदोलनों में भाग लेने की वजह से अभी तक 12 बार जेल जा चुके हैं। शोषितों की आवाज उठाने की कीमत उन्हें कई दफा लाठी-डंडो से पिटकर भी चुकानी पड़ी। इन आंदोलनों में लिया भाग -1971 में मोतीनगर का भूमिहीन आंदोलन। -73-74 में बिंदुखत्ता आंदोलन में भाग लिया। -76-78 खुरपिया फार्म में जमीदारों के कब्जे से 200 बीघा जमीन छुड़वाने का आंदोलन। -78 में तीनपानी बाइपास पर 18 एकड़ जमीन पर भूमिहीनों को बसाया। -1988 में गदरपुर (महतोष मोड़) पर महिलाओं के शोषण मामले के विरोध में हुआ आंदोलन। बगैर शर्त जेल से रिहा करना पड़ा बिंदुखत्ता आंदोलन के दौरान बहादुर सिंह जंगी को रासुका का मुकदमा झेलने के साथ ¨हसा का भी सामना करना पड़ा। घायल जंगी को अस्पताल में नजरबंद कर दिया गया। इसके अलावा महतोष मोड़ आंदोलन के दौरान दौरान उन्हें साथियों संग जेल में डाल दिया गया, लेकिन 40 दिन बाद सरकार ने उन्हें बगैर शर्त रिहा कर दिया।
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