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स्टडी लीव खत्म होने के बाद भी नहीं लौटने पर पंत विवि के एक और सहायक प्राध्यापक मृगेन्‍द्र बर्खास्त

स्टडी लीव खत्म होने के बाद भी पंत विवि के पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के संक्रामक रोग एवं बचाव चिकित्सा विभाग में सहायक प्राध्यापक ड्यूटी पर नहीं लौटे।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 10:16 AM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 10:16 AM (IST)
स्टडी लीव खत्म होने के बाद भी नहीं लौटने पर पंत विवि के एक और सहायक प्राध्यापक मृगेन्‍द्र बर्खास्त
स्टडी लीव खत्म होने के बाद भी नहीं लौटने पर पंत विवि के एक और सहायक प्राध्यापक मृगेन्‍द्र बर्खास्त

पंतनगर (ऊधमसिंह नगर) जेएनएन : स्टडी लीव खत्म होने के बाद भी पंत विवि के पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के संक्रामक रोग एवं बचाव चिकित्सा विभाग में सहायक प्राध्यापक ड्यूटी पर नहीं लौटे। बिना सूचना नदारद सहायक प्राध्यापक को मंगलवार को बर्खास्त कर दिया गया। यह कार्रवाई विवि की प्रबंध परिषद ने की है।

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डॉ. मृगेन्द्र कुमार सिंह राजपूत पशुचिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के संक्रामक रोग एवं बचाव चिकित्सा विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्त थे। डॉ. राजपूत को अमेरिका के साउथ डकोटा विवि से पीएचडी करने के लिए दो साल की स्टडी लीव स्वीकृत की गई थी। इसके लिए डॉ. राजपूत ने अनुबंध पत्र भी भरा था। इस आधार पर डॉ. राजपूत की स्टडी लीव एक वर्ष के लिए और विस्तारित की गई। साथ ही पुन: उनके अनुरोध पर पीएचडी पूर्ण करने के लिए चार जनवरी 2012 से 3 जनवरी 2013 तक एक वर्ष का असाधारण अवैतनिक अवकाश भी स्वीकृत किया गया। उन्होंने 11 दिसंबर 2012 को वापस विवि में अपना योगदान दिया। कुछ दिन बाद वह पुन: गायब हो गए। इस पर विवि प्रशासन सख्त हो गया। पीएचडी अध्ययन के लिए भरे गए अनुबंध पत्र में निहित शर्तों के अनुरूप अध्ययन पूर्ण करने के उपरांत पांच वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण न करने पर 11 लाख 31 हजार रुपये की धनराशि बतौर हर्जाने के रूप में विवि कोष में जमा न करने पर प्रबंध परिषद की संस्तुति पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है। साथ ही उक्त धनराशि की प्रतिपूर्ति को लीगल नोटिस भेजने की कार्रवाई की जा रही है।

यह था मामला

इतना समय देने के बाद अधिष्ठाता द्वारा डॉ. राजपूत को 11 जुलाई 2013 का एक दिन का उपार्जित अवकाश एवं 12 जुलाई 2013 से 28 अगस्त 2013 तक 48 दिन का अर्धवेतन अवकाश, 29 अगस्त 2013 से 28 दिसंबर 2014 तक अवैतनिक अवकाश स्वीकृत करने एवं 29 दिसंबर 2014 से डॉ. राजपूत का त्याग पत्र स्वीकार करने की संस्तुति की गई, जिसे अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद डॉ. राजपूत द्वारा 29 दिसंबर 2014 को कार्यभार ग्रहण करने की सूचना देने के बाद भी उपस्थित नहीं हुए, इस पर उनके द्वारा 24 व 29 जून 2015 को ईमेल से भेजे त्यागपत्र भी अस्वीकार कर दिया गया। इसके लगभग दो वर्ष बाद उन्होंने 2 जनवरी 2017 को विवि में योगदान देने की आख्या प्रस्तुत की, जो स्वीकार नहीं की गई। सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए प्रबंध परिषद की 237वीं बैठक में निर्णय लिया गया कि उन्हें बर्खास्त कर दिया जाए। 20 अगस्त 2019 को मुख्य कार्मिक अधिकारी कर्मेंद्र सिंह (पीसीएस) द्वारा जारी आदेश में उनकी सेवाएं सहायक प्राध्यापक के पद से दिनांक 11 जुलाई' 2013 से समाप्त कर दी गई हैं।


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