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सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन की शॉर्टेज, जरूरत पड़ने पर ढीली करनी पड़ेगी जेब

कुत्तों और बंदरों के काटने से जख्मी मरीजों के लिए मुसीबत बढ़ सकती है। सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन का स्टॉक कम है। सिर्फ एसटीएच में थोड़ी राहत मिल रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 11:30 AM (IST)
सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन की शॉर्टेज, जरूरत पड़ने पर ढीली करनी पड़ेगी जेब
सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन की शॉर्टेज, जरूरत पड़ने पर ढीली करनी पड़ेगी जेब

हल्द्वानी, जेएनएन : कुत्तों और बंदरों के काटने से जख्मी मरीजों के लिए मुसीबत बढ़ सकती है। सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन का स्टॉक कम है। सिर्फ एसटीएच में थोड़ी राहत मिल रही है। बेस अस्पताल में एंटी रैबीज खत्म होने वाली है। ऐसे में कई मरीज बाहर से वैक्सीन खरीदने को मजबूर हैं। इसके लिए उनको करीब 347 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। जबकि सरकारी अस्पतालों में यह टीका मुफ्त लगाया जाता है। शहर में ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एंटी रैबीज के टीकों का जनवरी से लेकर मार्च तक स्टॉक था, मगर मरीज बढऩे के चलते स्टॉक खत्म होने वाला है और स्थितियों से निपटने के लिए फिलहाल कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है। सरकारी अस्पतालों में 60 से 70 मरीज प्रतिदिन आ रहे हैं।

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कहां कितने बढ़े मरीज

बेस अस्पताल    40-50

सुशीला तिवारी   20-30

वैक्सीनेशन बेहद जरूरी

पालतू कुत्तों से भी सावधान रहने की जरूरत है। चिकित्सक बताते हैं कि समय-समय पर कुत्तों का वैक्सीनेशन जरूर कराना चाहिए। आमतौर पर घर पर लोग कुत्तों से खेल-खेल में उनके मुंह पर हाथ लगाने लगते हैं। इससे कुत्ते के थूक से भी वायरस पहुंच सकता है। जो सेहत के लिए हानिकारक है। 

10 दिन के भीतर लगवाएं टीका

कुत्तों, बंदर के काटने के बाद अधिक देरी न करें। कुत्ते के काटने के 10 दिन के भीतर एंटी रैबीज लगाना जरूरी है। देरी करने पर जान के लिए खतरा बढ़ जाता है।

केस-1

बनभूलपुरा में पिछले वर्ष सितंबर में सात वर्षीय छात्र मो. कैफ को आवारा कुत्ते ने काट लिया था। जिसका उपचार सुशीला तिवारी अस्पताल में चला था, मगर इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।

केस-2

रानीखेत की रहने वाली बच्ची लावन्या को आवारा कुत्तों ने निशाना बना लिया था। मां के पीछे जाने पर कुत्तों ने उसको निशाना बना लिया था। जिससे हफ्ते भर तक उसको सुशीला तिवारी के आइसीयू में रखा गया, जहां उसने जहर फैलने पर दम तोड़ दिया।

कुत्‍ते, बंदरों के लिए बनाया जाए बाड़ा

रशीद खान, इंदिरानगर ने बताया कि मेरे मोहल्ले में भी आवारा कुत्तों का झुंड घूमता रहता है। रोजाना निकलना दूभर हो जाता है। गाड़ी निकालने पर अचानक से काटने को दौड़ते हैं। निगम को आवारा कुत्तों के लिए बाड़े बना देना चाहिए ताकि एक जगह रह सके और लोग सुरक्षित रह सकें।

माेहल्‍ले में है कुत्‍तों का आतंक

मो. नजीम, कंपनीबाग  ने कहा कि चार-पांच कुत्तों का झुंड हर मोहल्लों में घूमता है। बचकर निकलना पड़ता है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन को ठोस कदम उठाना चाहिए। आवारा कुत्ते जानलेवा हैं।

कई लोग हो चुके हैं कुत्‍तों का शिकार

आतिफ जावेद, इंदिरानगर ने बताया कि मोहल्ले में कई लोग आवारा कुत्तों का शिकार हो चुके हैं। अब इनका दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि ये राह चलते लोगों के पीछे पड़ रहे हैँ। लोगों के आने-जाने में दिक्कतें पैदा होती है।

इंजेक्‍शन की भेजी गई है डिमांड

डॉ. केएस आर्या, फार्मासिस्ट, बेस अस्पताल ने बताया कि कुत्ते और बंदर के काटने पर टीके लगाए जा रहे हैं। 16 से 17 इंजेक्शन स्टॉक में अलग से रहना चाहिए। डिमांड भेजी गई है। मरीजों को कोई भी दिक्कत नहीं होने दी जा रही है।

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