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Haldwani Update: यहां भी 'बनभूलपुरा', 1002 परिवारों ने किया अतिक्रमण; दस-दस रुपये के स्टांप में बिक रही वन विभाग की जमीन

रामनगर मुख्य शहर से लगा हुआ है पूछड़ी। इसका कुछ हिस्सा नगरपालिका तो कुछ गांव में है। करीब 800 बीघा पक्की राजस्व भूमि वाले इस इलाके में स्थानीय के साथ-साथ बाहर से आकर भी लोग बसने लगे। धीरे-धीरे आबादी का विस्तार होता गया और लोगों ने इससे सटे तराई पश्चिमी वन प्रभाग के वन क्षेत्र में भी कब्जा शुरू कर दिया।

By trilok rawat Edited By: Aysha Sheikh Published: Sun, 25 Feb 2024 08:15 AM (IST)Updated: Sun, 25 Feb 2024 08:15 AM (IST)
रामनगर में नई पूछड़ी बस्ती का क्षेत्र। वन विभाग इसे अपनी भूमि मानता है।

त्रिलोक रावत, रामनगर। पर्यटन नगरी रामनगर भी धीरे-धीरे डेमोग्राफिक चेंज की जद में आता जा रहा है। इसकी शुरुआत पूछड़ी क्षेत्र से हो रही है। इस क्षेत्र में बाहर से आए मुस्लिम परिवारों की आबादी बढ़ी है और वन भूमि पर भी आशियाने बन गए हैं।

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वन विभाग का कहना है कि उनकी भूमि पर 1002 परिवार अतिक्रमण करके बैठे हैं। विभाग भी मानता है कि दस-दस रुपये के स्टांप में राजस्व से लगी वन विभाग की भूमि पर कब्जा हुआ है। जिम्मेदारों की बेपरवाही ही कहेंगे कि यहां बिजली, पानी व पहचान पत्र की सुविधा भी दी गई है। हालात यह है कि राजस्व क्षेत्र में बसी फौजी कालोनी के कुछ हिस्से को अब रहमतनगर का नाम दे दिया है।

रामनगर मुख्य शहर से लगा हुआ है पूछड़ी। इसका कुछ हिस्सा नगरपालिका तो कुछ गांव में है। करीब 800 बीघा पक्की राजस्व भूमि वाले इस इलाके में स्थानीय के साथ-साथ बाहर से आकर भी लोग बसने लगे। धीरे-धीरे आबादी का विस्तार होता गया और लोगों ने इससे सटे तराई पश्चिमी वन प्रभाग के वन क्षेत्र में भी कब्जा शुरू कर दिया।

दस-दस के स्टांप पेपर में बिकती गई जमीन

इस कब्जे वाली भूमि को तमाम लोग स्टांप पेपर व मौखिक रूप से दूसरों को बेचकर चलते बने। वर्ष 2004-05 से वन क्षेत्र की यह जमीन दस-दस रुपये के स्टांप पेपर में एक से दूसरे को बिकती चली गई। सबसे ज्यादा उप्र के रामपुर, मुरादाबाद व स्वार तथा काशीपुर के सुल्तानपुर पट्टी क्षेत्र से मुस्लिम वर्ग के लोग यहां आकर सस्ती जमीन खरीदकर बसते चले गए और वन क्षेत्र में अतिक्रमण का भी विस्तार होता चला गया।

वन क्षेत्र में बसी इस जगह को पूछड़ी नई बस्ती के रूप में पहचान दे दी गई। एक-दो मुस्लिम परिवार यहां कारोबार के लिए घोड़ा बुग्गी लेकर आए थे, जो आज वन विभाग की अच्छी खासी जमीन पर कुंडली जमाए बैठे हैं। अब बुग्गी की जगह उनके डंपर और ट्रक चल रहे हैं। जगह-जगह बांस व घास के अलावा तिरपाल डालकर झोपड़ी बनी हैं।

अवैध कब्जे का यह खेल वन विभाग के उस क्षेत्र के रखवालों के संरक्षण में पनपता रहा। लोग वन क्षेत्र में नदी तक बसते चले गए। हाई कोर्ट के आदेश पर प्रशासन व वन विभाग की ओर से वर्ष 2017 में 36 लोगों के पक्के अतिक्रमण ध्वस्त भी किए गए थे। लेकिन इसके बाद स्थिति फिर पहले की तरह होती चली गई। पूरे इलाके में वर्तमान में मतदाताओं की संख्या 3500 हो चुकी है।

वर्तमान में पहली बार यहां मुस्लिम महिला ही प्रधान हैं। वन भूमि पर बसे अधिकांश लोग खनन से जुड़े हुए हैं। यही नहीं, वन विभाग अपनी भूमि में जिन्हें अतिक्रमणकारी मानता है, उनके लिए पेयजल की टंकी भी बनाई गई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि टंकी बनाई तो राजस्व भूमि पर है लेकिन यहां से पानी अवैध रूप से बसी बस्ती के लोगों को दिया जा रहा है।

पहले इस क्षेत्र में बसासत कम थी। 2005 के बाद इस क्षेत्र में बाहर से लोग आना शुरू हुए। राजस्व भूमि में जो लोग रहते थे, उनमें से कई ने बाहरी मुस्लिम लोगों को जमीन बेचना शुरू कर दिया। वन क्षेत्र में भी जमीनें दस-दस रुपये के स्टांप में बाहरी लोगों को बेच दी गईं। पूछड़ी में फौजी कालोनी को रहमतनगर बना दिया गया है। - अर्जुन सिंह रावत, पूर्व प्रधान पूछड़ी ग्राम

वन विभाग के रिकार्ड में पूछड़ी क्षेत्र में 1002 परिवार अतिक्रमणकारी है। दस-दस रुपये के स्टांप पेपर में यह वन भूमि बेची गई है। अब तक दो बार नोटिस भेजकर वन विभाग ने अतिक्रमणकारियों से पूछा है कि उनके पास जमीन कहां से आई है। जमीन के प्रपत्र दिखाने के लिए नोटिस भी भेजे जा चुके हैं। साथ ही ऊर्जा निगम से भी पूछा गया है कि वन क्षेत्र में काबिज लोगों को किस आधार पर कनेक्शन दिए गए हैं। विभाग अब फिर से कार्रवाई करेगा। - प्रकाश चंद्र, डीएफओ, तराई पश्चिमी वन प्रभाग, रामनगर

वन क्षेत्र में अतिक्रमण के लिए वन विभाग भी दोषी है। बाहरी लोग उस क्षेत्र में आकर बस गए हैं। पूछड़ी क्षेत्र में बाहर से आकर बसे लोगों की सख्ती से जांच होनी चाहिए। यदि लोग कह रहे हैं कि फौजी कालोनी को रहमतनगर का नाम दिया गया है, तो इसकी जानकारी ली जाएगी। - दीवान सिंह बिष्ट, विधायक रामनगर

अभी कोई नए कनेक्शन नहीं दिए गए हैं। पहले कनेक्शन किस आधार पर दिए गए हैं, इसकी जांच की जाएगी। यदि वन विभाग हमें नोटिस देगा तो जांच कराकर कनेक्शन हटवा लिया जाएगा। - उमाकांत चतुर्वेदी, ईई ऊर्जा निगम रामनगर


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