जीवन को शक्ति के साथ संपन्नता दे रहा आंवला
कोरोना संक्रमण के दौर में आयुर्वेद विशेषज्ञों ने आंवले को भी सेहत के लिए बेहद उपयोगी बताया है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कोरोना संक्रमण के दौर में आयुर्वेद विशेषज्ञों ने आंवले को भी सेहत के लिए बेहद उपयोगी बताया है। इसे लेकर लोगों में इस गुणकारी फल को लेकर क्रेज बढ़ गया है। भले ही औषधीय गुणों से भरपूर आंवला ऑफ सीजन के चलते इस समय बाजार में नहीं हैं, लेकिन इससे बने उत्पादों की बिक्री बढ़ गई है। जैविक उत्पाद के तौर पर इसका जूस व मुरब्बा भी खूब बिक रहा है। यही कारण है कि इससे जुड़े लोगों को यह संपन्नता भी दे रहा है। नैनीताल जिले में 82.20 हेक्टयेर में 584.25 मिट्रिक टन आंवले का उत्पादन हुआ। सीजन यानी जनवरी-फरवरी में यह फल 25 से 28 रुपये तक बाजार में उपलब्ध था।
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इन उत्पादों की बढ़ी डिमांड
प्रचुर मात्रा में विटामिन सी का स्रोत आंवला प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार है। इसलिए इससे बने च्यवनप्रास, मुरब्बा, आंवला कंडी, जूस, अचार की बाजार में डिमांड अधिक दिखी। हेल्थकेयर के निदेशक दयाल पांडे बताते हैं, आंवले को लेकर लोगों में जागरूकता है। हल्द्वानी में सामान्य दिनों में आंवला का जूस प्रति सप्ताह 150 से 200 बोतल बिक जाया करते था, लेकिन इस समय 300 के करीब है। इसी तरह अन्य उत्पादों की बिक्री भी अधिक रही। इसमें कई कंपनियां व संस्थाओं के उत्पाद शामिल हैं।
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आंवले को कहा गया जीवन शक्ति: डॉ. मेहता
शहर के वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. एनके मेहता का कहना है आंवले के नियमित सेवन से जीवन शक्ति बढ़ती है। इसमें तमाम तरह के रसायन होते हैं। शरीर के सभी अंगों पर इसका प्रभाव पड़ता है। यह धातुओं के साथ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
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पहाड़ में रोजगार का बन सकता अच्छा विकल्प : पांगती
आइआइटी कर चुके जीवन पांगती जैविक खेती से जुड़े हैं। उनका कहना है कि आंवला पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार का अच्छा विकल्प बन सकता है। इस फल को लेकर अच्छी बात यह है कि इसकी तत्काल मार्केटिंग की जरूरत नहीं है। इसे सुखाने के बाद कई उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं, जो साल भर उपयोग में आते हैं। इसे सुखाने के बाद टमाटर की जगह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। पहाड़ में लौट आए प्रवासी आंवले को रोजगार के रूप में अपनाने से बेहतर लाभ कमा सकते हैं।