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शेरवुड कॉलेज के साथ ही हो गई थी ऑल सेंट्स कॉलेज की शुरुआत, इस तरह से नैनीताल बना एजुकेशन हब

1892 में स्कूल द्वारा अयारपाटा में बड़ा भूभाग खरीदा जिसका क्षेत्रफल 38 एकड़ था वहां स्कूल को पृथक कर स्वतंत्र रूप से ऑल सेंट्स कॉलेज की संज्ञा दी गई। उन संतों को याद करते हुए दिया गया जिनके महान कार्यो को प्रतीक मानते हुए स्कूल की स्थापना की गई।

By Prashant MishraEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 11:46 AM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 11:50 PM (IST)
शेरवुड कॉलेज के साथ ही हो गई थी ऑल सेंट्स कॉलेज की शुरुआत, इस तरह से नैनीताल बना एजुकेशन हब
इनके अनुसार गरीबों की सेवा प्रभु के सेवा के समान थी।

किशोर जोशी, नैनीताल। ब्रिटिशकाल से ही एजुकेशन के हब के रूप में प्रसिद्ध नैनीताल में ऑल सेंट्स कॉलेज की स्थापना 1867 में डायोसन स्कूल या शेरवुड की भगनी संस्था के रूप में कर दी गई थी। प्रारंभ में मिस ब्रेडबेरी ने इस स्कूल को पीटरशिल्ड में दो छात्राओं के साथ शुरू किया था। 1869 में डायोसन बॉयज स्कूल या आज के शेरवुड को स्टोनले नामक स्थान पर स्थानांतरित किया गया। कुछ समय बाद छात्राओं की संख्या में पर्याप्त वृद्धि  हुई तो उनके स्कूल को भी प्रथक इकाई के रूप में स्टोनले कम्पाउंड में स्थापित किया गया। 1892 में स्कूल द्वारा अयारपाटा में बड़ा भूभाग खरीदा, जिसका क्षेत्रफल 38 एकड़ था, वहां स्कूल को पृथक कर स्वतंत्र रूप से ऑल सेंट्स कॉलेज की संज्ञा दी गई। यह नाम उन संतों को याद करते हुए दिया गया, जिनके महान कार्यो को प्रतीक मानते हुए स्कूल की स्थापना की गई। स्कूल को प्रारम्भ करने का उद्देश्य  ईसाई धर्म की विचारधारा का सार ग्रहण करते हुए मध्यम वर्ग की छात्राओं के लिए एक आदर्श स्कूल की स्थापना करना था।

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इतिहासकार प्रो अजय रावत के अनुसार डब्लूएन ड्राइन नामक वास्तुकार ने ऑल सेंट्स कॉलेज का डिजाइन तैयार किया था। अंग्रेजी, हिंदुस्तानी मिश्रण से 1915 तक स्कूल प्रबंधन ऑल सेंट्स सिस्टर्स के हाथों में था। जो इंगलिंकन मत की अनुयायी थी। यह सोसायटी समाजसेवा को मुख्य उद्देश्य मानती थी और इनके अनुसार गरीबों की सेवा प्रभु के सेवा के समान थी।  इस संस्था की स्थापना  हैरियन बाइनर ने 1858  में इंग्लैंड में की थी। 1915 में लखनऊ की डायसिस ने इसे संपत्ति को खरीद लिया। 1945 के पश्चात स्कूल का नियंत्रण ऑल सेंट्स कॉलेज सोसायटी के हाथों में आ गया तथा चेयरमैन आगरा डायसिस के बिशप को नियुक्त किया गया, जो चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के अधीन काम करता है। 

प्रो रावत बताते हैं कि प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात 1918 में एक नई इमारत का निर्माण किया गया। उन सैनिकों की याद में वहां पर टीचर्स ट्रेनिंग स्कूल भी कुछ सालों के लिए कार्यरत रहा। आज यह इमारत ऑल सेंट्स जूनियर स्कूल है। राजभवन के निकट स्थापित इस विद्यालय की इमारत अत्यंत आकर्षक हैं। वर्तमान में इस स्कूल में देश के तमाम शहरों से छात्राएं अध्ययन को आती हैं।


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