शहीद मोहन की बेटी भूमिका के सपनों को पंख देंगे अक्षय
आजादी की 72वीं वर्ष गांठ की पूर्व संध्या पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में अक्षय कुमार ने शहीद के परिजनों से किया वादा।
प्रकाश जोशी, लालकुआं : आजादी की 72वीं वर्ष गांठ की पूर्व संध्या पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में मशहूर सीने स्टार अक्षय कुमार ने शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की पुत्री भूमिका को डॉक्टर बनाने का वादा किया। अक्षय के इस वादे ने देश की रक्षा में जान समर्पित करने वाले शहीद की बेटी का संकल्प और मजबूत हुआ है।
गत 14 अगस्त की शाम को शहीदों की याद में दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान फिल्म स्टार अक्षय कुमार ने शोक चक्र विजेता शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की पत्नी भावना गोस्वामी को शाल ओढ़ाकर सम्मानित करने के साथ एक लाख का चेक सौंपा।
11 दिन में 10 विदेशी आतंकियों को मार गिराने के बाद वीर गति को प्राप्त होने वाले बिंदुखत्ता के जांबाज शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की बीर गाथा को सुनकर अक्षय कुमार समेत कार्यक्रम में मौजूद अन्य लोगों की आंखें भर आई। इस दौरान अक्षय ने शहीद की पुत्री भूमिका से पूछा की उसका मकसद क्या है। जिसपर नन्ही भूमि (भूमिका) ने डॉक्टर बनकर अपने पापा का नाम रोशन करने की मंशा जाहिर की। इस दौरान अक्षय कुमार ने भूमि को आटो ग्राफ देते हुए उसके डॉक्टर की पढ़ाई में आने वाले खर्च को वहन करने का वादा किया। अक्षय कुमार के इस कदम की क्षेत्रवासियों ने प्रसंशा की। वह पूरे दिन सोशल मीडिया में छाये रहे। रंग देने लगी हेमंत की जलाई अलख लालकुआं: दो सितंबर 2015 को कश्मीर घाटी के कुपवाड़ा जिले में 10 आतंकवादियों को मार गिराने के बाद वीरगति को प्राप्त हुए शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के परिजनों को सबसे पहले भाजपा नेता हेमंत द्विवेदी ने पांच लाख की सहायता देने के साथ ही शहीद की बेटी की पढ़ाई का खर्च वहन करने का वादा किया था। उसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शहीद की पत्नी को छह लाख व माता को चार लाख की सहायता की थी। मीडिया द्वारा शहीद की वीरता की दास्ता को प्रमुखता से प्रकाशित किया तो अक्षय कुमार ने भी शहीद की बेटी के डाक्टर बनने के सपने को पूरा करने का वादा किया है। दरअसल शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की शहादत के बाद लोगों द्वारा सोशल मीडिया द्वारा शहीद के परिजनों को सहायता देने की अपील की जाने लगी। जिसके बाद भाजपा नेता हेमंत द्विवेदी ने सबसे पहले शहीद के घर जाकर उनकी पत्नी को पांच लाख रुपये की सहायता की थी। जिसके बाद राज्य सरकार को भी आर्थिक सहायता देने के साथ ही कई वादे किए थे। 26 जनवरी 2016 को शहीद को मरणोपरांत अशोक चक्र मिला। कुल मिलाकर हेमंत द्विवेदी की जलाई अलख रंग लाने लगी है। सरकार के कई वादे है अधूरे लालकुआं: शहीद मोहन नाथ ने देश सेवा के लिए बलिदान देकर पूरे देश के साथ ही राज्य का नाम भी रोशन किया था। जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शहीद के परिजनों को आर्थिक सहायता देने के साथ ही शहीद की पत्नी को रोजगार देने, शहीद के नाम से स्टेडियम बनाने, बिंदुखत्ता में शहीद द्वार बनाने समेत कई घोषणाएं कर दी। शहादत को तीन साल बीतने को आज तक सिर्फ शहीद द्वार ही बन पाया है। उसमें भी गुणवत्ता को पूरी तरह से ताक पर रखा गया है। इसके अलावा मिनी स्टेडियम आज तक कागजों में ही बन रहा है। जबकि शहीद की पत्नी नौकरी के लिए जनप्रतिनिधियों की चौखट के चक्कर लगाने को मजबूर है।