कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र ने ताइवान में शोध कर दिखाई प्रतिभा, मिले 27 लाख रुपये
रमेश को उनके स्पिनट्रोनिक एवं मैग्नेटिक मेमरीज़ के क्षेत्र में रिसर्च के योगदान के लिए मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ताईवान के एकेडमिक रीसर्च अवार्ड के लिए चुना गया है। पीएचडी में रमेश ने मैग्नेटिक सेंसिंग एवं मैग्नेटिक रेफ्रीजेरेंट मैटेरियल्स पर शोध कार्य किया।
जागरण संवाददाता, नैनीताल। कुमाऊं विवि के पूर्व छात्र डीएसबी से एमएससी रमेश भट्ट को ताइवान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से प्रतिष्ठित अकादमिक शोध पुरस्कार पुरस्कार मिला है। यह ताइवान के विश्वविद्यालय के लिए पहला पुरस्कार है। राष्ट्रपति ने इस बार पुरस्कार राशि को दोगुना कर दिया।
रमेश ने डॉक्टरेट की उपाधि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी एवं राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला नई दिल्ली से सम्मिलित रूप से प्राप्त की। पीएचडी में रमेश ने मैग्नेटिक सेंसिंग एवं मैग्नेटिक रेफ्रीजेरेंट मैटेरियल्स पर शोध कार्य किया। पीएचडी के बाद रमेश ने साउथ कोरिया एवं ताइवान में पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्चर के रूप में कार्य किया।
वर्तमान में रमेश को उनके स्पिनट्रोनिक एवं मैग्नेटिक मेमरीज़ के क्षेत्र में रिसर्च के योगदान के लिए मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ताईवान के एकेडमिक रीसर्च अवार्ड के लिए चुना गया है। अवार्ड में सर्टिफ़िकेट के साथ 27 लाख रुपए प्रदान किए गए। नेशनल यूनलिन यूनिवर्सिटी ओफ़ साइंसएंड टेक्नॉलोजी का यह पहला अवार्ड है। इसीलिए यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट ने अवार्ड सेरेमोनी में यूनिवर्सिटी की तरफ़ से अतिरिक्त 27 लाख रुपए देने का एलान किया।
मूल रूप से चंपावत के बलातड़ी निवासी रमेश की प्रारंभिक शिक्षा लोहाघाट फिर पिथौरागढ़ से ली। पिता दयाकृष्ण भट्ट लोहाघाट महाविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए हैं। माता गृहिणी हैं। बड़ी, छोटी बहिन दोनों शिक्षिकाएं हैं। वर्तमान में परिवार हल्दूचौड़ में रहता हैं।