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मानवीय रिश्तों की कहानी कह गया काबुली

मंच संस्था की ओर से ग्रीष्मकालीन नाट्य महोत्सव के अंतर्गत शनिवार को आज की काबुली नाटक का मंचन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 06:36 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 06:28 AM (IST)
मानवीय रिश्तों की कहानी कह गया काबुली

जागरण संवाददाता, नैनीताल : मंच संस्था की ओर से ग्रीष्मकालीन नाट्य महोत्सव के अंतर्गत शनिवार को रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी के आधुनिक रूपांतरण 'आज की काबुली' का मंचन किया गया। मानसिक रूप से कमजोर गुडि़या के जीवन पर आधारित नाटक में कलाकारों ने सजीव मंचन कर दर्शकों को बांधे रखा।

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मल्लीताल बीएम साह ओपन थियेटर में हुए मंचन में नाटक के कथानक के अनुसार, गुडि़या को दुनियादारी की समझ नहीं है। पिता रामबाबू व मां शांति देवी उसकी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं। सहेली तानिया व नौकरी मुरारी के साथ गुडि़या समय बिताती है। एक दिन काबुली वाला मेवा बेचने आता है तो गुड़िया से उसकी दोस्ती हो जाती है। काबुली गुडि़या के साथ बच्चा बन जाता है। वह गुडि़या में अपनी बेटी हीना का प्रतिरूप देखता है, जो गूंगी है। अखबार में मानसिक रूप से कमजोर बच्ची से दुराचार की खबर पढ़कर रामबाबू व शांति परेशान हो जाते हैं। शांति घर में लोगों का आना-जाना बंद कर देती है। नौकर मुरारी को निकाल देती है और काबुली को भी भगा देती है। मुरारी गुस्से में गुडि़या को किडनैप करने की कोशिश करता है तो काबुली बचाने की कोशिश। गुडि़या के बचाने के दौरान गलती से मुरारी काबुली के हाथों मारा जाता है। इस पर उसे जेल हो जाती है। जब काबुली जेल से छूटता है तो गुडि़या की शादी हो रही होती है। इसके बाद शांति को गलती का एहसास होता है और वह काबुली से गुडि़या का कन्यादान करने को कहती है। लेखक व निर्देशक विरल आर्य, कलाकार जितेंद्र सिंह, आशीष, तंजिल, रजनी, विवान, कीर्ति, राजीव ने अपने मंचन से दर्शकों को बांधे रखा।


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